Syama Prasad Mukherjee jyanti: रास नहीं आई थी जवाहर लाल नेहरू की सरकार, इस्तीफा देकर बना लिया जनसंघ
Syama Prasad Mukherjee jyant : श्यामा प्रसाद मुखर्जी को मॉडर्न हिन्दू राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का गॉडफादर माने जाते है । श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। यही जनसंघ अपना स्वरूप बदलते-बदलते आज भाजपा, यानि भारतीय जनता पार्टी बन चुकी है, जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं । ये अपनी तरहा का पहला हिंदू राष्ट्रवादी दल था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे थे और हिंदू महासभा के नेता भी थे ।
वो वक्त गुलामी का था, चारों और अंग्रेजों के अत्याचार हो रहा था, इसी साल 6 जुलाई 1901 को एक बच्चे का जन्म होता है, जो आगे चलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम से जाना जाता है । उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ । उनके पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी था और वह बंगाल के बड़े सम्मानित वकील थे, और उनकी मां का नाम जोगमाया देवी था । उनके जीवन पर वीर सावरक की गहरी छाप थी। तो आज हम उन्ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में कुछ बातें जानेंगे,
लेकिन यहां आपको बता दें कि आज अगर कश्मीर में 370 का खात्मा हुआ है, और देश में अब दो झंडे नहीं हैं, तो इसका श्रेय श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जाता है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य दर्जा देने वाले, संविधान के अनुच्छेद 370 के कट्टर आलोचक थे। उन्होंने 1929 में राजनीति में कदम रखा और बंगाल विधान परिषद के सदस्य बनें ।
मुखर्जी 1947 में महात्मा गांधी के नेतृत्व वाली पहली राष्ट्रीय सरकार में शामिल हुए। प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुखर्जी को इंडस्ट्रियल सप्लाई में मंत्री के रूप में शामिल किया। वो देश के पहले उद्योग मंत्री थे, लेकिन कांग्रेस से उनकी विचारधारा मेल नहीं खा रही थी, तब उन्होंने नेहरू सरकार से इस्तीफा दे दिया ।
उन्होंने इस्तीफा का दिन भी वह चुना जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भारत आना था । मुखर्जी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के भीतर भी नाराजगी उभर कर सामने आ गई । नेहरू की सरकार छोड़ने के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जुलाई 1950 में दिल्ली में एक बैठक में भाग लिया। उस वक्त पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उनका स्वागत किया जाता है। हिंदू राष्ट्रवादी युवकों ने उनका स्वागत किया और नारे लग रहे थे नेहरू-लियाकत समझौता मुर्दाबाद।
इसके बाद उन्होने 21 अक्टूबर 1951 को जनसंघ की स्थापना की, उन्होंने नेहरू-लियाकत समझौते का विरोध किया । श्यामा प्रसाद मुखर्जी संविधान के अनुच्छेद 370 के कट्टर आलोचक थे । इसके लिए उन्होने आंदोलन भी किये. मई 1953 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जम्मू में प्रवेश करते वक्त गिरफ्तार कर लिया गया था, उनकी इस गिरफ्तारी के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुआ।
डॉ मुखर्जी की गिरफ्तारी के 40 दिन बाद 23 जून 1953 को उनकी सरकारी अस्पताल में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो जाती है । 30 जून, 1953 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मां जोगमाया देवी को पत्र लिखकर अपनी संवेदना व्यक्त की। लेकिन हिरासत में हुई उनकी मृत्यू ने पूरे देश के मन में संदेह पैदा कर दिया। इस घटना पर स्वतंत्र जांच की मांग की, और मुखर्जी की मां जोगमाया देवी ने उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से, इस मुद्दे पर गंभीरता बनाने के लिए अनुरोध किया । आज यानि 6 जुलाई को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती है, तो उन्हें आप किस तरह याद करना चाहेंगे, अपनी राय भी जरूर कमेंट करें ।