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रायपुर : आप कराएगी ओपी चौधरी के खिलाफ एफआईआर

रायपुर : छत्तीसगढ़ के भाजपा सरकार के संरक्षण में सरकारी जमीन और निजी जमीन की अदला-बदली के माध्यम से करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार कलेक्टर के द्वारा किया गया और उसे दबा दिया गया । बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कोर्ट की अवमानना करते हुए  इसकी जांच तक नहीं की गई और ना ही कलेक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई । दंतेवाड़ा के तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी के संरक्षण में भूमाफिया को लाभ पहुंचाते  हुए यह सारा का सारा खेल वर्ष 2011 से 2013 के बीच किया गया ।

अदला-बदली के माध्यम से करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार

सरकारी खजाने को भारी क्षति पहुंचाई गई । मामला जब कोर्ट पहुंचा तो हाईकोर्ट ने सितंबर 2016 में राज्य सरकार को आदेश दिया कि इस पूरे प्रकरण की जांच की जाए । इस मामले में संलिप्त तत्कालीन कलेक्टर, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक एवं अन्य अधिकारियों को मुख्य न्यायाधीश बिलासपुर हाई कोर्ट ने दोषी  पाया तथा 1 लाख रुपये का जुर्माना ठोंका ।

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गौरतलब तथ्य यह है कि यही कलेक्टर ओपी चौधरी अब राज्य शासन से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी के लाडले नेता बन गए हैं जाहिर है इस पूरे प्रकरण में कलेक्टर ओपी चौधरी को बचाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश करवाया और स्टार नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश की जा रही है ।

मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते हैं यह इस पूरे प्रकरण से ना केवल साबित होता है बल्कि यह भी स्पष्ट है कि अब वे इन भ्रष्टाचारियों को राज्य की सत्ता सौंपने से हिचकते नहीं है ।

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आम आदमी पार्टी के दिल्ली सरकार के मंत्री व छत्तीसगढ़ प्रभारी गोपाल राय ने कई खुलासा कर आरोप लगाया है। आप नेताओं ने रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी की भाजपा में शामिल होने को लेकर खुलासा किया है।

जिला पंचायत दन्तेवाड़ा के बगल में बैजनाथ की निजी कृषि 3.67 एकड़ जमीन थी, जमीन  मालिक बैजनाथ से इस जमीन को चार लोगों ने खरीदा, जिसके बाद इस जमीन को विकास भवन के नाम पर सरकार ने लेकर  दन्तेवाड़ा में बस स्टैंड के पास करोड़ों की व्यावसायिक के साथ कृषि जमीन की अदला बदली कर ली। आरोप है कि ये पूरा काम 2011 से 2013  में ओपी चौधरी दन्तेवाड़ा के कलेक्टर के रहने के दौरान हुआ ।

पूरा मामला इस प्रकार है :-

1. वर्ष 2010 में एक किसान बैजनाथ से 4 लोगों ने मिलकर 3.67 एकड़ कृषि भूमि की खरीदी की यह लोग थे मोहम्मद साहिल हमीद कैलाश गुप्त मिश्र मुकेश शर्मा और प्रशांत अग्रवाल वर्ष 2011 में ओपी चौधरी दंतेवाड़ा के कलेक्टर बन कर आए इन चारों लोगों ने कलेक्टर चौधरी से आग्रह किया कि उनकी निजी भूमि जमीन को सरकार जिला पंचायत परिसर में विकास भवन बनाने के नाम पर ले मार्च 2013 में राजस्व निरीक्षक तहसीलदार पटवारी और एसडीएम ने मिलकर सिर्फ 15 दिन के भीतर ही इन चारों की निजी जमीन के बदले में सरकारी भूमि देने की प्रक्रिया पूरी कर डाली मात्र 1 दिन के भीतर ही जमीन बेचने की परमिशन और नामांतरण संबंधी प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी ।

 

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जिस जमीन को बैजनाथ से इन लोगों ने मात्र 10 लाख रुपए में खरीदा था उसे यह लोग 25 लाख रुपए में बेचने में सफल हो गए और उसके बदले में दंतेवाड़ा के बस स्टैंड के पास व्यावसायिक भूमि के साथ 2 अन्य स्थानों पर जमीन पर मालिकाना हक पाने में सफल रहे । निजी भूमि को मंहगे दर पर और सरकारी महंगी जमीन को सस्ती बताकर कूटरचना की गई । जिसके फलस्वरुप 5.67 एकड़ सरकारी कीमती भूमि हथिया ली गई,बाद में इस प्रकरण को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई ।

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