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नईदिल्ली : चीफ जस्टिस खुद तय करें, उन्हें पद पर रहना चाहिए या नहीं

नईदिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को कहा कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को खुद तय करना चाहिए कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर कार्रवाई पूरी होने तक उन्हें बतौर जस्टिस काम करना या नहीं करना है. मुख्य विपक्षी पार्टी ने यह भी कहा कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस का ब्योरा सार्वजनिक करने में राज्यसभा के किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि भाजपा चीफ जस्टिस का बचाव कर न्यायपालिका के सर्वोच्च पद का अपमान कर रही है.

जस्टिस काम करना या नहीं करना है

कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा, वह (जस्टिस मिश्रा) देश के चीफ जस्टिस हैं. उनको अपने को खुद जांच के सुपुर्द करना चाहिए. यह उन पर आरोप नहीं है, बल्कि देश पर आरोप हैं. हम किसी का अपमान करने के लिए नहीं आए हैं. लेकिन इन गंभीर आरोपों की सच्चाई सामने आनी चाहिए. ऐसा होना देश और न्यायपालिका के हित में है.उन्होंने कहा, जब तक नोटिस पर कार्रवाई हो रही है तब तक चीफ जस्टिस को खुद सोचना चाहिए कि उन्हें न्यायपालिका में किस तरह से भागीदारी करनी है. चीफ जस्टिस का पद बहुत बड़ा होता है. यह विश्वास से जुड़ा होता है. उनको पहले विश्वास अर्जित करना चाहिए. उन्हें यह सोचना चाहिए कि इस पूरे प्रोसेस के दौरान उन्हें जस्टिस के रूप में काम करना है या नहीं.

लेकिन इन गंभीर आरोपों की सच्चाई सामने आनी चाहिए

तन्खा ने कहा, हमें न्यायपालिका और सभी जस्टिस की ईमानदारी पर गर्व है. लेकिन पिछले तीन महीने से हम परेशान थे. चार जस्टिसों ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि लोकतंत्र खतरे में हैं. इसके बाद कुछ जस्टिस के पत्र भी सामने आए. सांसदों ने बहुत सोच-विचार करके यह कदम उठाया. हमने भारी मन से ऐसा किया है.उन्होंने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस के बारे में मीडिया से बात करने पर राज्यसभा के नियमों में रोक नहीं है.

इसके बाद कुछ जस्टिस के पत्र भी सामने आए

गौरतलब है कि गत शुक्रवार को कांग्रेस और छह अन्य विपक्षी दलों ने देश के चीफ जस्टिस पर कदाचार और पद के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया था.राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस देने के बाद इन दलों ने कहा कि संविधान और न्यायपालिका की रक्षा के लिए उनको भारी मन से यह कदम उठाना पड़ा है.महाभियोग प्रस्ताव पर कुल 71 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें सात सदस्य रिटायर हो चुके हैं. महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सदस्य शामिल हैं.

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