पोलावरम बांध से तबाही के लिए भाजपा-कांग्रेस जिम्मेदार- अमित जोगी

रायपुर। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व विधायक अमित जोगी ने आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में स्वीकृत किये गए तीन बांधों के निर्माण को बस्तर की बर्बादी करार दिया है. उन्होंने इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बस्तर की बर्बादी पर भाजपा-कांग्रेस ने बहुत पहले से मोहर लगा दी है, दोनों दलों के प्रदेश के नेताओं में इतना दम नहीं कि दिल्ली में बस्तरवासियों की लड़ाई लड़ सकें.
अमित जोगी ने पोलावरम बांध का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आँध्रप्रदेश में गोदावरी नदी पर पोलावरम पर बाँध को UPA की सरकार ने ₹ 70000 करोड़ का आबँटन करा और NDA ने उसे ‘राष्ट्रीय परियोजना’ घोषित कर दिया. इस सम्बंध में डुबान में आने वाले कोंटा-छिन्दगढ़ क्षेत्र के 47 ग्राम पंचायतों में आज तक न तो भूअर्जन और पुनर्वास अधिनियम के अनिवार्य प्रावधानों के अंतर्गत कोई जनसुनवाई कराई गई और 1980 में गोदावरी वॉटर डिस्प्यूट ट्रायब्यूनल द्वारा निर्धारित 150 फ़ीट की अधिकतम डुबाई स्तर को भी बढ़ाकर 180 फ़ीट कर दिया गया. इस सम्बंध में मैंने विधान सभा से प्रस्ताव पारित किया था किंतु आज तक उसपर भी राज्य शासन ने कोई कार्यवाही नहीं करी है.
छजकां अध्यक्ष ने कहा इसी प्रकार तेलंगाना में इंद्रावती और गोदावरी नदियों के संगम में इचमपल्ली विकास खंड में दो बाँधों के निर्माण को सृजला सृवंती और देव दुल्ला में स्वीकृति दी गई थी. कलेक्टर बीजापुर द्वारा राज्य शासन को सौंपी पर्यावरण-सामाजिक प्रभाव रिपोर्ट के अनुसार इन बाँधों के निर्माण से बीजापुर-भोपालपतनम का 40000 हेक्टर क्षेत्र डुबान में आएगा. इस रिपोर्ट के आधार पर भी छत्तीसगढ़ शासन ने कोई आपत्ति नहीं करी. इस विषय में ये बताना ज़रूरी है कि जब 2002 में तत्कालीन अविभाजित आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अजीत जोगी को बाँधों के भूमिपूजन के लिए निमंत्रण दिया था, तब उन्होंने स्पष्ट रूप से उन्हें यह कहके मना कर दिया था कि मैं आऊँगा ज़रूर लेकिन भूमिपूजन करने नहीं आमरण अनशन करने.
इसके साथ ही अमित जोगी ने जोरानाला को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होने कहा कि सेंट्रल वॉटर ट्रायब्यूनल के जल मापक यंत्रों के अनुसार उड़ीसा को जितना उपरोक्त 1980 के GWDT अवार्ड के हिसाब से पानी कोटपाड़ (बस्तर) में प्रतिवर्ष छोड़ना चाहिए, उसमें पिछले कुछ वर्षों में लगातार कमी आई रही है. जहाँ अवार्ड के अनुसार उड़ीसा को प्रतिवर्ष बस्तर में कोटपाड़ से भद्रकाली तक 120 TMC (हज़ार मिल्यन घन फ़ुट) पानी भेजना था, वहाँ 2017 में मात्र 74.438 और 2018 में 65.821 TMC ही पानी छोड़ा गया. लगभग 50% जल उपलब्धता में कमी के बावजूद आज तक राज्य सरकार ने इस विषय पर भी कोई कार्यवाही नहीं करी. उड़ीसा द्वारा जो जोरानाला का कारण (पहले जोरानाला का पानी इंद्रावती में आता था जबकि अब उलटा हो गया है) बताया जाता रहा है, उसमें भी कोई सत्यता नहीं है. कमी का कारण उड़ीसा द्वारा बिना छत्तीसगढ़ को विश्वास में लिए दो अतिरिक्त बाँधों- नौरंगपुर में खातीगुड़ा (जिसमें 91 TMC जल रोका जा रहा है) और निर्माणाधीन टेलाँगिरी (जिसमें 2.62 TMC जल रोकना प्रस्तावित है) तथा कालाहांडी में मुखिगुड़ा रेज़र्व्वार- का निर्माण करना है. वैसे भी 2001 में ₹ 52 करोड़ की धारा-प्रवाह नियंत्रित करने की छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्पूर्ण राशि मिलने के बाद भी आज तक उड़ीसा द्वारा स्ट्रकचर का निर्माण नहीं करा गया है.
अमित जोगी ने कहा कि ऐसे में अगर कुछ नहीं किया गया और दोनों दलों के नेताओं के मुँह का ताला नहीं खुलता है तो उत्तर-मध्य बस्तर भारत का सबसे बड़े रेगिस्तान और दक्षिण बस्तर भारत का सबसे बढ़ा बाँध बन कर रह जाएँगे. उन्होंने सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है, अमित जोगी ने कहा कि इस विषय पर राज्य सरकार द्वारा क्या कार्यवाही करी जा रही है, इसपर सरकार को तत्काल श्वेत पत्र जारी करना चाहिए.