शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने संतों के वाद-विवाद को लेकर दिया दिलचस्प जवाब, पीएम पद पर कही बड़ी बात

महाराष्ट्र की चमकती नगरी मुंबई मंगलवार को एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्तित्व की मेजबानी कर रही थी। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने यहां पहुंचकर न केवल चर्चित रामभद्राचार्य और प्रेमानंद विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी, बल्कि देश के प्रधानमंत्री पद को लेकर भी एक स्पष्ट और महत्वपूर्ण टिप्पणी की।
संतों के बीच विवाद? शंकराचार्य ने किया विवादों को सुलझाने जैसा बयान
जब उनसे पूछा गया कि संतों के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप और वाद-विवाद को वे कैसे देखते हैं, तो स्वामीजी ने इसे “युद्ध नहीं, अभ्यास” बताया। उन्होंने कहा, “संतों में कोई लड़ाई नहीं होती, बल्कि यह तो नियमित चर्चा और तर्क-वितर्क का हिस्सा है।”
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे बताया, “जैसे सेना में रोज़ाना हथियार अभ्यास होता है, वैसे ही हमारे बीच भी शस्त्र अभ्यास होता है। यह युद्ध नहीं, बल्कि तर्कों की कसौटी है, जिससे हम विरोधियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकें।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि आपस में विचारों का परीक्षण करना आवश्यक है, ताकि बाहर के लोगों को भी सटीक और प्रभावी जवाब दिया जा सके।
प्रधानमंत्री पद पर बोले स्वामीजी: जनता का फैसला सर्वोपरि
राजनीति के सवाल पर, खासकर राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना पर पूछे गए सवाल के जवाब में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “प्रधानमंत्री वह होता है जिसे जनता चुनती है। कोई राजा या विशेष व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं बनता। जनता के मन और सोच को ही अंतिम फैसला माना जाना चाहिए।”
रामभद्राचार्य-प्रेमानंद विवाद का परिप्रेक्ष्य
यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब हाल ही में स्वामी रामभद्राचार्य ने संत प्रेमानंद पर कठोर शब्दों में टिप्पणी की थी। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को बालक से तुलना करते हुए कहा था कि उनके पास शास्त्रों का उचित ज्ञान नहीं है और उन्हें अपने कहे श्लोकों का अर्थ स्पष्ट करने की चुनौती दी थी।