बिलासपुर : साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण बुधवार 31 जनवरी को कर्क राशि और पुष्य व अश्लेषा नक्षत्र में होगा। इसकी अवधि 3 घंटे 24 मिनट की होगी।
माघ पूर्णिमा की तिथि पर चंद्रमा का रंग नारंगी होगा। इसे खगोलीय भाषा में ब्लडमून कहते हैं। इसके साथ ही सामान्य से बड़े आकार में और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार भी होगा। ज्योतिषाचार्य पं.दीपक शर्मा ने बताया कि ग्रहण की शुरुआत चंद्रोदय के साथ ही शाम 5.19 बजे से होगी। वहीं ग्रहण का मोक्ष रात्रि 8.43 बजे होगा। करीब 3.24 घंटे की अवधि तक ग्रहणकाल होने से जनजीवन भी प्रभावित होगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार ग्रहण की घटना सार्वभौमिक है और इसका नकारात्मक असर भी पड़ता है। ज्योतिष और शास्त्रीय मत के अनुसार राहु और केतु से ग्रसित होने पर सूर्य और चंद्रग्रहण पड़ता है। वहीं वैज्ञानिक मत के अनुसार चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीध में आने से ये घटना होती है।
9 घंटे पहले लगेगा सूतक
चंद्रग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले लगेगा। यह सुबह 8.19 बजे लग जाएगा और ग्रहण के मोक्ष के बाद रात्रि 8.43 बजे समाप्त होगा। सूतक के शुरू होते ही मंदिर के पट भी बंद हो जाएंगे।
ये कार्य हैं वर्जित
ग्रहणकाल का सूतक प्रारंभ होते ही भगवान के विग्रह का स्पर्श करना पूर्ण रूप से वर्जित माना गया है। इसके साथ ही भोजन, शयन, मनोरंजन के साथ ही शुभ कार्य करना भी निषेध है। वहीं इस अवधि में पाठ व मंत्र जाप करना चाहिए। ग्रहण के मोक्ष के बाद पवित्र सरोवरों में स्नान कर दान-पुण्य और देव दर्शन करने से पुण्य फल मिलता है।
35 साल बाद ग्रहण व ब्लूमून एक साथ
करीब 35 साल बाद पूर्ण चंद्रग्रहण और ब्लूमून की घटना एक साथ होगी। इस दिन सुपरमून भी रहेगा। जब चंद्रमा धरती के करीब आता है, तब इसका आकार भी बड़ा नजर आने से सुपर मून कहलाता है। वहीं ग्रहण काल के दौरान जब चंद्रमा हल्का नारंगी होने से इसे ब्लड मून और एक महीनें में दूसरी बार पूरा निकलने पर ब्लू मून कहलाता है। बुधवार को चंद्रमा की तीनों स्थितियां नजर आएंगी।
15 दिन बाद सूर्यग्रहण
चंद्रग्रहण की घटना के 15 दिनों बाद 15 फरवरी को फागुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सूर्य ग्रहण की घटना होगी। ज्योतिष मत के अनुसार 15 दिनों में दो ग्रहण पडऩा शुभ संकेतों को जन्म नहीं दे रहा है। इससे पृथ्वी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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