छत्तीसगढ़ न्यूज़ | Fourth Eye News

हरेली तिहार – हरियाली का उत्सव, छत्तीसगढ़ की मिट्टी से जुड़ा पहला पर्व

रायपुर। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरती पर एक ऐसा त्योहार हर साल अपनी हरियाली की छांव लेकर आता है, जो सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति, परंपरा और पूजा का सुंदर संगम है – हरेली तिहार।

हर साल श्रावण अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व छत्तीसगढ़ में त्योहारों की शुरुआत करता है। इस बार 24 जुलाई, गुरुवार को पूरे राज्य ने हरेली तिहार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया। “हरेली” शब्द खुद में हरियाली की भावना समेटे हुए है – जीवन, हरापन और नई उम्मीदों का प्रतीक।

धरती माता और खेती के औजारों की होती है पूजा

हरेली तिहार खासकर किसानों के लिए अत्यंत महत्व रखता है। यह दिन धरती माता और खेती के सभी साधनों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का होता है। सुबह-सवेरे लोग उठकर नहाते हैं और अपने खेती-बाड़ी के औजारों जैसे हल, कुदाल, फरसा, गैंती की सफाई कर उन्हें तेल लगाते हैं और विधिवत पूजन करते हैं। यह एक तरह से नए कृषि वर्ष की शुरुआत का प्रतीक बन चुका है।

बैलों की सजावट और पूजन

गांवों में इस दिन एक विशेष दृश्य देखने को मिलता है – बैलों को नहलाया जाता है, उन्हें सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है, क्योंकि वे किसान के सबसे बड़े साथी होते हैं। घरों के आंगन में गोबर से चौक बनाया जाता है और वहीं पूजा-अर्चना होती है। महिलाएं व्रत रखती हैं और बच्चे पारंपरिक खेलों में भाग लेते हैं।

संस्कृति और परंपरा से जुड़ाव

इस पर्व को ‘कृषि उपकरण पूजन दिवस’ भी कहा जाता है। यही वह दिन है जब छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा खास आयोजनों की श्रृंखला होती है – पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, और गांवों के पारंपरिक खेलों की झलक देखने को मिलती है।

भौरा, गिल्ली-डंडा, रस्साकशी जैसे खेल आज भी बच्चों और युवाओं को पुरानी लोकसंस्कृति से जोड़ते हैं। इन खेलों के जरिए एक नई पीढ़ी को उनके पूर्वजों की जीवनशैली और मूल्य सिखाए जाते हैं।

हरेली तिहार – प्रकृति से जुड़ने की पुकार

हरेली तिहार सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की कृषि परंपरा और प्रकृति से जुड़ाव की जीवंत मिसाल है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि धरती, पशु, औजार और ऋतुओं के साथ सामंजस्य बिठाकर ही समृद्धि संभव है।

यह त्यौहार धान की फसल बोने के बाद मनाया जाता है और यही वजह है कि इसे छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार कहा जाता है – जो सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि जीवन का उत्सव है। अगर आपको हमारी ये जानकारी अच्छी लगी हो ता हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button