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अमृत सरोवर बना आजीविका का सरोवर: मछली पालन से सशक्त हो रहीं बोरिंदा की महिलाएं

रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के ग्राम पंचायत बोरिंदा में बना अमृत सरोवर अब सिर्फ जल संरक्षण का प्रतीक नहीं रह गया है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का मंच बन चुका है।

यहाँ “शीतल स्वास्थ्य समूह” की 12 महिलाएं मिलकर मछली पालन कर रही हैं। मनरेगा के तहत बना यह तालाब अब इन महिलाओं के लिए नियमित आमदनी का जरिया बनता जा रहा है। अब तक 1 लाख से अधिक मछली बीजों का संचयन किया जा चुका है, और मछलियों को बेहतर आहार देकर उत्पादन बढ़ाया जा रहा है।

महिलाओं का कहना है कि वे इस कार्य को व्यावसायिक स्तर तक ले जाना चाहती हैं ताकि लाभ और भी अधिक हो। वहीं जिला CEO श्री बजरंग दुबे ने इस पहल को महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण स्वरोजगार का बेहतरीन उदाहरण बताया।

अमृत सरोवर से सिंचाई के लिए 10–15 एकड़ खेतों को पानी मिल रहा है, जिससे खरीफ और रबी फसलों का उत्पादन भी बढ़ा है। सरोवर के किनारे लगे 60 से ज्यादा छायादार और औषधीय पौधों से पर्यावरणीय लाभ भी मिल रहा है।

दुर्ग जिले में अब तक 123 अमृत सरोवरों का निर्माण हो चुका है, जिनमें से 65 में महिलाओं द्वारा आजीविका गतिविधियाँ शुरू की जा चुकी हैं। लगभग 650 महिलाएं इन सरोवरों से जुड़कर मछली पालन, प्रसंस्करण और विपणन कर रही हैं।

गाँव में बनाए गए मछली सुखाने के चबूतरे न केवल काम को आसान बना रहे हैं, बल्कि इससे गाँव की पंचायत की आय भी बढ़ रही है। यह पहल न केवल महिलाओं बल्कि गाँव के बेरोजगार युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई है।

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