माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर भूस्खलन में जानमाल का बड़ा नुकसान, संख्या पहुंची 33 तक

मंदिरों की नगरी जम्मू-काश्मीर एक बार फिर प्रकृति की क्रूरता के आगे घुटने टेकती नजर आ रही है। माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर आए भीषण भूस्खलन ने 33 जिंदगियां छीन लीं, जबकि कई श्रद्धालु अभी भी मलबे के नीचे दबे होने की आशंका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दर्दनाक घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और पीड़ितों की मदद के लिए हर संभव संसाधन लगाने का भरोसा दिया है। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की भी कामना की है।
यात्रा मार्ग पर बचाव दल दिन-रात काम में जुटा है, पर लगातार बारिश और बाढ़ ने राहत और बचाव कार्यों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
जम्मू में कहर बरपाती बारिश, नदियां उफान पर और शहर जलमग्न
शनिवार से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने जम्मू को त्राहि-त्राहि करवा दिया है। चनैनी नाला में एक कार नदी में गिरने से तीन श्रद्धालु बह गए हैं, जिनमें से दो राजस्थान के धौलपुर और एक आगरा का निवासी है। घाटी की नदियां—तवी, चिनाब, उज्ज—खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे पुलों और सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है।
भगवतीनगर पुल की एक लेन धंस गई है और अन्य पुलों पर सुरक्षा कारणों से आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी गई है। कठुआ-पठानकोट मार्ग पर पहले से यातायात प्रभावित था, अब विजयपुर के देविका पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद यह मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है।
सैन्य राहत कार्य और प्रशासनिक सख्ती
सांबा में सेना ने एक साहसिक अभियान के तहत नदी में फंसे सात खानाबदोश गुज्जरों को बचाया है। प्रशासन ने मंगलवार रात भारी बारिश की आशंका को देखते हुए 9 बजे के बाद घरों से बाहर निकलने पर सख्त पाबंदी लगा दी है। जम्मू संभाग के सभी स्कूल और कॉलेज 27 अगस्त को बंद रखे गए हैं।
एक शहर जो थमा है, लेकिन उम्मीद अभी भी जिंदा है
प्रकृति की इस भयंकर आपदा के बीच जम्मू का हर एक नागरिक, प्रशासन और सुरक्षा बल एकजुट होकर बचाव और पुनर्निर्माण के प्रयासों में जुटा है। भारी तबाही के बीच उम्मीद की लौ जलाए रखना ही अब सबसे बड़ी चुनौती है।




