
रायपुर। मुंगेली ज़िला कलेक्टोरेट परिसर में आज का जनदर्शन एक खास वजह से हमेशा के लिए यादगार बन गया। आमतौर पर फरियादों और समस्याओं से भरे इस मंच पर एक छोटी सी मासूम आवाज़ ने पूरे माहौल को भावुक कर दिया। लोरमी विकासखंड के ग्राम रजपालपुर से आया सातवीं कक्षा का छात्र यश कुमार, डबडबाई आंखों और कांपती आवाज़ में कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार से बस एक गुज़ारिश करने आया था— “सर, मेरे माता-पिता मुझे छोड़ गए हैं… मेरी स्कूल की फीस माफ कर दीजिए।”
छत्तीसगढ़ पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाला यश जब महज चार साल का था, तभी उसके माता-पिता उसे छोड़कर चले गए। तब से उसके चाचा उसकी देखभाल कर रहे हैं, लेकिन आर्थिक तंगी यश की पढ़ाई में दीवार बनकर खड़ी थी।
कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार ने जब यह कहानी सुनी, तो उन्होंने केवल एक अफसर नहीं बल्कि एक अभिभावक की तरह प्रतिक्रिया दी। उन्होंने तत्काल अधिकारियों को निर्देशित किया कि यश को पास के छात्रावास में दाखिला दिया जाए और उसकी पढ़ाई की पूरी ज़िम्मेदारी प्रशासन उठाए। उनकी आंखों में ममता साफ झलक रही थी जब उन्होंने कहा— “अब यह मेरा बच्चा है। इसकी शिक्षा में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।”
यह क्षण केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं था, बल्कि शासन की संवेदनशीलता और करुणा का जीवंत उदाहरण था। एक छोटे से बालक की टूटती उम्मीद को फिर से पंख मिले, और उसकी आंखों में आत्मनिर्भरता का सपना लौट आया।
इस भावुक क्षण के साक्षी बने पुलिस अधीक्षक श्री भोजराम पटेल, अतिरिक्त कलेक्टर श्रीमती निष्ठा पाण्डेय तिवारी, अपर कलेक्टर श्री जी.एल. यादव, श्रीमती मेनका प्रधान सहित अन्य अधिकारीगण।
जहाँ सरकार और प्रशासन संवेदना के साथ कदम उठाते हैं, वहीं से असली बदलाव की शुरुआत होती है— और यश की कहानी इसका प्रमाण बन गई है।