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भुवनेश्वर : जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक हटाए गए

भुवनेश्वर : ओडिशा के पुरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार (कोष) की चाबियों के रहस्यमयी तरीकों से गायब होने के मामले में कार्रवाई करते हुए मंदिर के मुख्य प्रशासक प्रदीप कुमार जेना को हटा दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले में आईएएस अधिकारी जेना को हटाकर उनकी जगह पी के मोहापात्रा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जेना को हटाए जाने की जानकारी दी गई। हालांकि यह फेरबदल क्यों किया गया, इसक लिए सरकार की तरफ से कोई विशेष कारण नहीं बताया गया। जेना का ट्रांसफर अगले महीने 14 जुलाई को होने वाली प्रसिद्ध रथ यात्रा से एक महीने पहले किया गया है। उनकी जगह पी. के. मोहपात्रा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो कि 2010 से 2012 के दौरान भी यह जिम्मेदारी निभा चुके हैं।

जेना को हटा दिया गया है

12वीं शताब्दी में बने जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के अंदरूनी कक्ष में बड़ी मात्रा में सोने और चांदी के गहनों के होने का अनुमान है। रत्न भंडार की चाबियों की जिम्मेदारी पुरी के जिला अधिकारी के पास ही होती है लेकिन अप्रैल महीने में उन्हें पता चला कि चाबियां गायब हैं। इसके चलते नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली ओडिशा सरकार ने 4 जून को एक कमिटी गठित की जिसे ओडिशा के रिटायर्ड जस्टिस रघुबर दास लीड कर रहे हैं। इस कमिटी को मामले की जांच कर तीन महीनों के अंदर रिपोर्ट पेश करनी होगी।

चाबियां गायब हैं

रत्न भंडार के अंदरूनी कक्ष में कम से कम 128 किलो के सोने के गहने और करीब 200 किलो के चांदी के बर्तन होने का अनुमान है। इनका उपयोग वार्षिक रथ यात्रा और दूसरे महत्वपूर्ण त्योहार और आयोजनों में देवी-देवताओं के लिए किया जाता है जिसे रत्न भंडार के बाहरी कक्ष से निकाला जाता है। मंदिर के रेकॉर्ड के अनुसार, अंदरूनी कक्ष को आखिरी बार 1985 में खोला गया था।
ओडिशा ॥ष्ट ने दिया था रत्न भंडार खोलने का आदेश

वार्षिक रथ यात्रा

पिछले सप्ताह मंदिर के सेवकों से लेकर वरिष्ठ बीजेडी नेता दामोदर राउत ने पुरी किंग गजापति दिब्यासिंह देब और उनके कामकाज के तरीके पर सवाल उठाया। बता दें कि ओडिशा हाई कोर्ट के आदेश के बाद, चार अप्रैल को 16 सदस्यीय एक दल ने रत्न भंडार की स्थिति जानने के लिए इसके दरवाजे 34 साल बाद खोले थे। हालांकि अंदरूनी कक्षों की चाबियां नहीं होने के कारण वे अंदर नहीं जा सके। इसके बाद वे बाहरी कक्षों का ही निरीक्षण करने के बाद लौट आए। इसके बाद कांग्रेस ने चाबियां खोने के मुद्दे पर सरकार को घेरा था।

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