जगदलपुर, सबको पीने का पानी और सभी के लिए आधारभूत सुविधाएं जुटाने का लक्ष्य लिए एक ओर जहां राज्य शासन कार्य कर रही है। वहीं आज भी सैकड़ों गांव ऐसे हैं जहां पीने के पानी के लिए सैकड़ों मीटर की दौड़ रोज लगानी पड़ती है। ऐसा ही एक गांव है मुख्यालय से 14 किमी दूर स्थित ग्राम चिड़ईपदर। इस गांव में पानी के लिए लोगों को आज भी दो सौ मीटर से अधिक चलना पड़ता है तब जाकर पीने का पानी नसीब हो पाता है।
अभी वर्तमान में इस गांव में एक ही हैंडपंप है जो गांव के लोगों को प्यास बुझाने में अपने आपको असमर्थ पा रहा है और गत वर्षों के अनुभव के आधार पर ग्रामीण बताते हैं कि गर्मी शुरू होने के पहले ही यह हैंडपंप जलस्तर के नीचे चले जाने से पानी नहीं केवल हवा ही प्रदान करता है। इसीलिए इस गांव में शासन की स्वच्छ भारत योजना के तहत बनने वाले शौचालयों पर ताला लग जाता है। तथा मजबूरी में ग्रामीण बाहर खुले में शौच जाने के लिए विवश हो जाते हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि इस गांव के आसपास पानी का कोई स्रोत उपलब्ध नहीं है। तालाब छोटे, स्टाप डेम सहित ऐसा कोई पानी का साधन नहीं है जिससे ग्रामीण अपनी विस्तार के लिए पानी प्राप्त कर सकें। यह भी सर्वाधिक परेशानी का विषय है कि गांव के लोग अपने गांव के लिए पानी टंकी की मांग कर रहे हैं। लेकिन उनकी ओर शासन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं देता है। इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में लोगों को भूमि का पट्टा अभी तक नहीं मिला है। साथ ही यहां बनाए गए शौचालय भी अधूरे हैं। जिसके कारण यहां आधारभूत व्यवस्थाओं की सुविधा मुहैया कराने कोई रूचि नहीं लेता है।
ग्रामीण विकास की बाते तो सब करते हैं लेकिन उसको पूरा करने के लिए कोई पहल नहीं करता है।