भाजपा के सीएम सिर झुकाकर देते हैं इस्तीफा, तो कांग्रेस में मच जाता है घमासान

आजकल भाजपा राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कुछ इस तरीके से बदल रही है, जैसे कि वह कोई छोटे-मोटे नेता हों. वहीं मुख्यमंत्री भी सिर झुका कर आलाकमान के आदेश का पालन करते हुए पार्टी को धन्यवाद देते हैं, और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं. अब यह भाजपा आलाकमान की कुशलता ही है, जो इतने बड़े ओहदे के नेता को बदल दिया जाता है, और कहीं से विरोध के स्वर भी सुनाई नहीं देते.
कांग्रेस में तो ऐसा सोचने पर आलाकमान की कुर्सी ही हिल जाती है. अब उत्तराखंड को ले लीजिए, जहां भाजपा ने पिछले करीब 6 महीनों में तीसरा मुख्यमंत्री शपथ ले चुका है. कर्नाटक की बात करें तो कर्नाटक में भी सबसे बड़े नेता, जिनके दम पर कर्नाटक में भाजपा ने सरकारबनाई, बीएस येदुरप्पा को भी इस्तीफा देना पड़ा, मजाल है कि कहीं से कोई विरोध की आवाज भी आई हो.
वहीं भाजपा ने एक और बड़ा फैसला गुजरात में लिया है. यहां विजय रुपाणी का इस्तीफा ले लिया गया. विजयरुपाणी ने भी अपनी पार्टी का आभार जताया और चुपचाप राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. अब बात करें कांग्रेस की, तो कांग्रेस की हालत कुछ ऐसी है, कि मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी पर ही जमे रहना चाहते हैं. वे सोचते हैं, राज्य में उनके अकेले के दम पर ही कांग्रेस की सरकार बनी है. लिहाजा वे अपने साथी नेताओं को भी सत्ता का भागीदार नहीं बनाते.
आलाकमान अगर धोखे से सख्ती की बात कह दे, तो मुख्यमंत्री अपने विधायकों के साथ दिल्ली पर चढ़ाई कर देते हैं. राजस्थानमें जहां अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट में घमासान मचा हुआ है, तो वहीं छत्तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल और टी एस सिंह देव आपस में उलझते नजर आ रहे हैं. जबकि भाजपा का मुख्यमंत्री जब इस्तीफा देता है, तब लोगों को पता चलता है.
जाहिर है एक तरफ भाजपा जहां बड़े नेताओं को बड़ी ही खूबसूरती से पद से इस्तीफा ले लेती है. वहीं कांग्रेस आलाकमान के पसीने छूटजाते हैं, जब वह अपने ही नेता का इस्तीफा मांगने की सोचते भी है. तो आपका इस मुद्दे पर क्या कहना है, भाजपा का मैनेजमेंट अच्छा है, या फिर कांग्रेस का. कमेंट करके जरूर बताइएगा .