ब्लैक फंगस से स्वस्थ्य हुए 7 मरीज डिस्चार्ज
मेडिकल कॉलेज में मरीजों को मिला बेहतर उपचार, मरीजों ने डॉक्टर्स की सेवा भावना को सराहा, मरीजों ने नि:शुल्क उपचार के लिए मुख्यमंत्री के प्रति जताया आभार
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडीकल कॉलेज जबलपुर में पोस्ट कोविड बीमारी म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) के सफल उपचार के बाद आज गुरुवार को सात मरीजों को छुट्टी दे दी गई। इस प्रकार यहां भर्ती ब्लैक फंगस के 76 मरीजों की अब तक सर्जरी हो चुकी है। इनमें से स्वस्थ हुए 26 मरीजों को डिस्चार्ज भी किया जा चुका है।
स्वस्थ होने वाले इन्हीं खुशनसीब मरीजों में रायसेन जिले के ग्राम उदयपुरा के 36 वर्षीय युवक रंजीत सिंह भी हैं, रंजीत ने केवल मेडिकल कॉलेज में मिले उपचार की, बल्कि अस्पताल के चिकित्सक और नर्सिंग स्टॉफ के सहयोगात्मक रुख की तारीफ की है। रंजीत सहित इन सभी सात मरीजों का मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन और उपचार नि:शुल्क हुआ है। इसके लिए इन मरीजों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति कृतज्ञता और आभार व्यक्त किया है।
रंजीत बताते हैं कि कोरोना के संक्रमण से मुक्त होने के बाद उसकी नाक बंद हो गई थी और सांस लेना मुश्किल हो गया था। इसके उपचार के लिए वो होशंगाबाद भी गया जहां ब्लैक फंगस का संदेह होने पर चिकित्सकों द्वारा मेडिकल कॉलेज जबलपुर जाकर इलाज कराने की सलाह दी गई। रंजीत ने बताया कि मेडीकल कॉलेज जबलपुर में चिकित्सकों द्वारा किये गये परीक्षण और जांचों में ब्लैक फंगस के लक्षण की पुष्टि हुई।
रंजीत ने कहा कि चिकित्सकों द्वारा ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सर्जरी कराने की सलाह दी गई। अस्पताल के नाक-कान-गला रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा की अगुवाई में चिकित्सकों की टीम ने उसकी सफल सर्जरी की और अब वो काफी बेहतर महसूस कर रहा है। उसे सांस लेने में भी कोई तकलीफ नहीं है।
रंजीत ने मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं की भी तारीफ की। उसने बताया कि न केवल चिकित्सकों ने उसे जल्दी स्वस्थ्य होने का भरोसा दिया बल्कि नर्सिंग स्टॉफ ने भी हमेशा इस खतरनाक बीमारी से लडऩे में उसका मनोबल बढ़ाया। रंजीत ने कहा कि उसे अस्पताल उपचार और सर्जरी के लिए सभी दवायें मेडीकल कॉलेज में ही मिली यहां तक कि इम्फोटेरिसिन-बी के इंजेक्शन भी अस्पताल की ओर से ही उसे लगाये गये।
रंजीत के साथ ही आज पिपरिया के संजय शर्मा को सर्जरी और उपचार के बाद मेडिकल कॉलेज से छुट्टी दी गई। उसने भी अस्पताल के ईएनटी विभाग में हुए उपचार की तारीफ करते हुए बताया कि उसे सभी दवाईयां अस्पताल में ही मिली। ब्लैक फंगस के उपचार में सबसे अहम इम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन भी उसे मेडीकल कॉलेज में ही नि:शुल्क लगाये गये।आंखों में दर्द होने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए नरसिंहपुर के 48 वर्षीय सुमेर सिंह ने भी अस्पताल में हुए इलाज पर पूरी तरह संतुष्टी जताते हुए कहा कि समय पर मिले उपचार और ऑपरेशन से अब वो काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं।
उसे अब कोई तकलीफ नहीं है। उन्होंने इस खतरनाक बीमारी से निजात मिलने पर मेडीकल कॉलेज के ईएनटी विभाग की प्रमुख डॉ. कविता सचदेवा और उनकी टीम का आभार व्यक्त किया। सिरदर्द, आंख, गाल और ऊपरी जबड़े में तकलीफ होने पर न्यू शास्त्री नगर जबलपुर के पचास वर्षीय अखिलेश खरे और बरगी जबलपुर के 71 वर्षीय महेश जैन भी मेडिकल कॉलेज पहुंचे जहां उन्हें ब्लैक फंगस की बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर भर्ती किया गया। सर्जरी के बाद अखिलेश और महेश जैन भी बेहतर महसूस कर रहे हैं।
दोनों मरीजों ने बताया कि इम्फोटेरिसिन-बी के इंजेक्शन भी मेडिकल कॉलेज से ही उपलब्ध कराये हैं। मेडीकल कॉलेज से ब्लैक फंगस के सफल उपचार के बाद आज सिवनी के भागचंद और जबलपुर के विवेक अग्रवाल को भी छुट्टी दी गई है।नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडीकल कॉलेज जबलपुर में प्रदेश में सबसे पहले ब्लैक फंगस के उपचार के लिए डेडीकेटेड वार्ड बनाया गया था।
शुरूआत में उसकी क्षमता 30 बिस्तरों की थी बाद में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यहां चार और वार्डों में मरीजों के उपचार की व्यवस्था की गई। क्षमता बढ़ाकर 128 तक कर दी गई थी।मेडिकल कॉलेज के नाक-कान-गला रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा के अनुसार अस्पताल में उपचार और ऑपरेशन के बाद स्वस्थ्य होने पर अभी तक 26 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस से पीडि़त 76 मरीजों के ऑपरेशन भी किये जा चुके हैं। अस्पताल में अभी 126 मरीज भर्ती हैं। हालांकि अब पहले की तुलना में नये आने वाले मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है। जो नये मरीज आ रहे हैं उनमें से अधिकांश जबलपुर से लगे हुए जिलों के हैं।