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छत्तीसगढ़ में बदल गए चुनावी मुद्दे

रायपुर

  • छत्तीसगढ़ में चार महीने पहले हुए चुनावों में जो मुद्दे प्रभावी थे वे अब लोकसभा चुनाव में नदारद दिख रहे हैं।
  • ऐसा क्या है कि चार महीने में ही मुद्दे बदल गए।
  • यहां दिसंबर में कांग्रेस की सरकार बनी तो लोकसभा की आचार संहिता लगने से पहले काम करने के लिए मुश्किल से तीन महीने का ही वक्त मिला।
  • सरकार ने कुछ काम किया है और अब लोकसभा चुनाव में उसे ही गिना रही है।
  • जबकि भाजपा विधानसभा में 15 साल के विकास का जो शोर मचा रही थी उस पर अब खामोश है। बात राष्ट्रवाद, सर्जिकल स्ट्राइक और मोदी के चेहरे की ही की जा रही है। तो क्या विधानसभा चुनाव के दौरान जनता की जो समस्याएं थीं उनका समाधान निकल चुका है।
  • जानकारों की मानें तो ऐसा कुछ नहीं है। दरअसल विधानसभा और लोकसभा के चुनाव के मुद्दे हमेशा अलग ही होते आए हैं।
  • छत्तीसगढ़ में चार महीने के भीतर ही दोनों चुनाव हो रहे हैं इसलिए यह चर्चा में है कि मुद्दे कैसे बदले जबकि अन्य राज्यों में तो कई महीने के अंतराल में चुनाव होते हैं और समय के साथ स्वाभाविक तौर पर मुद्दे बदल जाते हैं।
  • लेकिन छत्तीसगढ़ में मुद्दे क्यों बदलते हैं इसका जवाब तलाश करना थोड़ा कठिन है।
  • राजनीतिक पंडितों का कहना है कि दोनों चुनावों में हवा दूसरी होती है। विधानसभा में स्थानीय मुद्दे हावी होते हैं तो लोकसभा में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को चर्चा होती है।

विधानसभा में यह थे मुद्दे

  • नवंबर-दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान आदिवासी, किसान, सरकारी कर्मचारी, बेरोजगारांे के मुद्दे असरकारी थे। इन्हीं मुद्दों का उठाकर कांग्रेस सत्ता में आने में कामयाब रही।
  • सरकार बनाने के बाद कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी की, बिजली बिल हाफ किया, धान का सर्मथन मूल्य बढ़ाया।
  • हालांकि आदिवासियों के मुद्दे पर खास कुछ नहीं किया जा सका।
  • भाजपा विधानसभा चुनाव में विकास का मुद्दा उठा रही थी जो फेल साबित हुआ।
  • सरकारी कर्मचारियों, पुलिस और शिक्षाकर्मियों के मुद्दे भी विधानसभा चुनाव में थे जिनपर कुछ खास नहीं किया जा सका है।
  • अब भाजपा उन मुद्दों को उठा रही है जिसे कांग्रेस की सरकार पूरा नहीं कर पाई है।
  • शराबबंदी भी इन्हीं में से एक मुद्दा है। नक्सल समस्या पर दोनों दलों में नूरा कुश्ती लगातार जारी है।
  • फिर भी यह सब मुद्दे कमोबेश अब पीछे ही छूटे हुए माने जा रहे हैं।

लोकसभा में इन मुद्दों पर हो रही बहस

  • लोकसभा चुनाव में भाजपा का विकास का मुद्दा फिलहाल पीछे छूट चुका है। बात मोदी के राष्ट्रवाद, सर्जिकल स्ट्राइक पर हो रही है। इसके साथ ही विधानसभा में जो वादे कांग्रेस ने किए थे उन्हें भाजपा याद दिला रही है।
  • शराबबंदी हो या किसानों को ज्यादा समर्थन मूल्य देने की बात या फिर बेरोजगारी भत्ता भाजपा हर मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने में जुटी है। आदिवासियों के पेसा कानून की बात नहीं हो रही है।
  • कांग्रेस टाटा की जमीन वापसी को मुद्दा बना रही है, घोषणापत्र में किए गए वादों जैसे न्याय योजना को मुद्दा बनाया जा रहा है।
  • विधानसभा में केंद्र सरकार की उज्ज्वला, पीएम आवास योजना, जनधन योजना की भी चर्चा थी पर अब इनपर चर्चा नहीं हो रही है।
  • कांग्रेस तो भाजपा की सभी योजनाओं को फ्लॉप बताने में जुटी है।
  • राज्य सरकार ने बिजली बिल हाफ किया है पर बिजली गुल होने की समस्या बढ़ी है। इसे भी भाजपा मौके के रुप में देख रही है।

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