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रायपुर : संसार में मनुष्य को भगवान से जोडऩे की डोर सिर्फ गुरू के पास ही : गोपलशरण देवाचार्य

रायपुर : नित दिन पतन की ओर बढ़ते इस संसार के बार-बार जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति चाहिए, तो भगवान कृष्ण ही उसका एकमात्र सहारा हैं । मनुष्य को भक्ति रूपी डोर के जरिए भगवान से जोडक़र भवसागर से पार लगाने का काम सिर्फ एक गुरू ही कर सकता है। बिन गुरू के मनुष्य का जीवन दिशाहीन होता है, और बिना दिशा के बार-बार संसार में आना जाना सिर्फ अपनी शक्तियों को क्षीण करना ही है। इसलिए अगर हमें जन्म बंधन से मुक्ति पाकर परमसुख को प्राप्त करना है तो भगवान की शरण में जाना ही होगा।

बिन गुरू के मनुष्य का जीवन दिशाहीन होता है

यह बातें बुधवार को पुरुषोत्तम मास के पावन अवसर पर न्यू चंगोराभाठा के गणपति नगर में परमेश्वरी चौक पर शिवोम विद्यापीठ के पास गोपाल भवन में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास गोपालशरण देवाचार्य ने कही। आगे उन्होंने बताया कि भगवान की प्राप्ति दुर्लभ है लेकिन उससे भी दुर्लभ जीवन में गुरु का मिल जाना है। जीवन में अगर गुरु की प्राप्ति हो गई तो फिर संसार से विरक्ति निश्चित हो जाएगी।

कृष्ण के 22 अवतारों का वर्णन किया

कथा में भगवान की महिमा का वर्णन करते हुए कथा व्यास गोपालशरण देवाचार्य ने बताया कि कृष्ण परिपूर्णतम अवतार हैं। उनकी लीलाएं ऐश्वर्य और माधुर्य से युक्त हैं। भक्तों का कल्याण करने के लिए भगवान विविध रूप धारण करते हैं। तभी तो भागवत महापुराण में भगवान कृष्ण के 22 अवतारों का वर्णन किया गया है। मद् भागवत श्रवणीय ग्रंथ है। अगर मनुष्य भागवत की कथा श्रवण करें तो निश्चित ही उसका मन भगवान कृष्ण में लग जाएगा। संसार को पाप के कीचड़ से निकालने के लिए भगवान ने स्वयं वराह अवतार लिया।

भागवत महापुराण में भगवान कृष्ण के 22 अवतारों का वर्णन किया गया है

आगे बताते हुए गोपाल शरण देव जी ने बताया कि प्रभु हमें देने में कभी कमी नहीं करते। जीवन में परमात्मा कितनी बार अलग-अलग रूप में हमारे पास आते हैं लेकिन हम उनको पहचान नहीं पाते। सच्चे मन से पुकारने की देरी है भगवान तत्काल प्रकट हो जाएंगे। मनुष्य को अपना चेहरा देखने के लिए जिस तरह दर्पण की जरूरत होती है उसी तरह आत्मा को देखने मन रूपी दर्पण की जरूरत होती है। भक्ति में ही वह शक्ति है जो प्रभु को अवतार लेने पर मजबूर कर देती है। भागवत कथा सुनना भी एक प्रकार का तप है जो भागवत कथा सुनते हैं उनके कष्ट अवश्य दूर होते हैं।

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