छत्तीसगढ़ न्यूज़ | Fourth Eye News

रायपुर : मुख्यमंत्री ने केयूर भूषण के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया

रायपुर :  मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने स्वाधीनता संग्राम सेनानी, वरिष्ठ साहित्यकार और रायपुर के पूर्व लोकसभा सांसद केयूर भूषण के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। डॉ. सिंह ने आज यहां जारी शोक संदेश में कहा है कि केयूर भूषण के निधन से न सिर्फ छत्तीसगढ़ प्रदेश ने, बल्कि पूरे देश ने सच्चाई और सादगी पर आधारित गांधीवादी दर्शन और विनोबा जी की सर्वोदय विचारधारा के एक महान चिंतक को हमेशा के लिए खो दिया है। स्वर्गीय केयूर भूषण छत्तीसगढ़ राज्य के सच्चे हितैषी थे। प्रदेश के विकास के लिए मुझे उनका बहुमूल्य मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहा।

केयूर भूषण के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है

उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भी अपूरणीय क्षति है। केयूर भूषण का आज शाम राजधानी रायपुर के एक प्राईवेट अस्पताल में निधन हो गया। मुख्यमंत्री ने शोक संदेश में कहा – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वर्गीय केयूर भूषण ने छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय चेतना का प्रकाश फैलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह छत्तीसगढ़ी और हिन्दी भाषा के वरिष्ठ कवि, लेखक और उपन्यासकार भी थे। उन्होंने अपने लेखन में हमेशा छत्तीसगढ़ के गांव, गरीब और किसानों की संवेदनाओं को अभिव्यक्ति दी।

छत्तीसगढ़ी और हिन्दी भाषा के वरिष्ठ कवि, लेखक और उपन्यासकार भी थे

डॉ. सिंह ने कहा – उनके निधन से छत्तीसगढ़ के सार्वजनिक जीवन और साहित्य जगत को भी अपूरणीय क्षति पहुंची है। उन्होंने कहा -स्वर्गीय केयूर भूषण सहज-सरल स्वभाव के एक कर्मठ और सक्रिय जनप्रतिनिधि तथा समाज सेवक थे, जिन्होंने वर्ष 1980 से 1990 तक सांसद के रूप में लोकसभा में रायपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2001 में राज्योत्सव के अवसर पर अनेक पंडित रविशंकर शुक्ल सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया था। उल्लेखनीय है कि केयूर भूषण का जन्म एक मार्च 1928 को छत्तीसगढ़ के ग्राम जांता (जिला- बेमेतरा) में हुआ था।

वर्ष 2001 में राज्योत्सव के अवसर पर अनेक पंडित रविशंकर शुक्ल सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया था

उनके पिता मथुरा प्रसाद मिश्र समाज सेवक थे। केयूर भूषण की प्राथमिक शिक्षा ग्राम दाढ़ी के स्कूल में हुई। उन्होंने 5वीं कक्षा की पढ़ाई बेमेतरा में की। आगे की पढ़ाई के लिए रायपुर आए। यहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आव्हान पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1942 के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और गिरफ्तार हुए। उस समय वह रायपुर केन्द्रीय जेल में सबसे कम उम्र के राजनीतिक बंदी थे। उन्होंने स्कूली शिक्षा को छोडक़र घर पर ही हिन्दी, अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं का अध्ययन किया। आजादी के बाद सन 80-82 के दशक में पंजाब में आतंकवाद के दौर में शांति स्थापना के लिए केयूर भूषण ने भी गांधीवादी और सर्वोदयी नेताओं के साथ वहां के गांवों की पैदल यात्रा की।

रायपुर केन्द्रीय जेल में सबसे कम उम्र के राजनीतिक बंदी थे

स्वर्गीय केयूर भूषण के प्रकाशित छत्तीसगढ़ी उपन्यासों में वर्ष 1986 में प्रकाशित ‘कुल के मरजाद’ और वर्ष 1999 में प्रकाशित ‘कहां बिलागे मोर धान के कटोरा’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। वर्ष 2000 में उनका पहला छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह ‘कालू भगत’ और वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ी निबंध संग्रह ‘हीरा के पीरा’ प्रकाशित हुआ। राज्य और देश के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य करने वाली सोलह प्रमुख महिलाओं के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केयूर भूषण के आलेखों का संग्रह ‘छत्तीसगढ़ के नारी रत्न’ शीर्षक से वर्ष 2002 में प्रकाशित हुआ।

वर्ष 1999 में प्रकाशित ‘कहां बिलागे मोर धान के कटोरा’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है

वर्ष 1986 में केयूर भूषण की छत्तीसगढ़ी कविताओं का पहला संकलन ‘लहर’, वर्ष 2000 में हिन्दी प्रार्थना और भजनों का संकलन ‘नित्य प्रवाह’ और वर्ष 2002 में फिर एक छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह ‘मोर मयारूक गांव’ का प्रकाशन हुआ। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। स्वर्गीय केयूर भूषण ने साप्ताहिक छत्तीसगढ़ और साप्ताहिक छत्तीसगढ़ संदेश सहित इन्दौर की मासिक पत्रिका ‘अंत्योदय’ का भी संपादन किया। इसके अलावा उन्होंने छत्तीसगढ़ के 75 प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन गाथा पर आधारित पुस्तक की भी रचना की है, जो अप्रकाशित है। स्वर्गीय केयूर भूषण के साहित्य पर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में शोध कार्य भी हुआ है। उनके ‘छत्तीसगढ़ी साहित्य के अनुशीलन’ पर सु रमणी चन्द्राकर को पी-एच.डी. की उपाधि मिली है। यह शोध ग्रन्थ वर्ष 2015 में प्रकाशित हुआ है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button