निराश्रित पशुओं पर नियंत्रण को लेकर मुख्यमंत्री ने दिए सख्त निर्देश, कहा— हादसों की वजह बन रहे मवेशियों पर हो त्वरित कार्रवाई

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मंत्रालय महानदी भवन में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि सड़कों पर घूम रहे निराश्रित मवेशियों की समस्या को गंभीरता से लिया जाए। उन्होंने कहा कि ये पशु सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह बन रहे हैं और इस पर रोकथाम के लिए सभी संबंधित विभागों को मिलकर ठोस कार्ययोजना बनानी होगी।
मुख्यमंत्री ने पशुधन विकास, नगरीय प्रशासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और लोक निर्माण विभाग को आपसी तालमेल के साथ काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने दो टूक कहा कि यह समस्या शहरों और गांवों—दोनों में है और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बैठक में गौशालाओं, गौठानों, कांजी हाउस और काउ-कैचर जैसी व्यवस्थाओं की मौजूदा स्थिति पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने इन सुविधाओं की उपयोगिता और सुधार की संभावनाओं पर सुझाव मांगे और उनकी क्षमता बढ़ाने के संकेत दिए।
खासतौर पर राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे बसे गांवों में पशु प्रबंधन के लिए व्यावहारिक मॉडल तैयार करने के निर्देश भी दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाईवे पर पशुओं की मौजूदगी न सिर्फ ट्रैफिक में रुकावट है, बल्कि जानलेवा हादसों का कारण भी बनती है, इसलिए इस पर प्राथमिकता से काम होना चाहिए।
सड़क हादसों में मवेशियों की भूमिका की समीक्षा के साथ-साथ गोधन विकास से जुड़े प्रस्तावों पर भी विचार किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि लावारिस गौवंश की देखभाल, उनके लिए चारे की व्यवस्था और पुनर्वास के लिए एक व्यवस्थित रणनीति जरूरी है।
शहरी क्षेत्रों में काउ-कैचर की कार्यप्रणाली और उसके विस्तार पर भी गंभीरता से विचार किया गया। इस दौरान कृषि और पशुधन विकास विभाग की सचिव शहला निगार ने प्रदेशभर की गौठानों, गौशालाओं और पशुधन योजनाओं की अद्यतन जानकारी एक प्रेजेंटेशन के ज़रिए साझा की।
बैठक में गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष विशेषर सिंह पटेल, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, पंचायत विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक सिंह, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।