छत्तीसगढ़रायपुर

जिला प्रशासन के प्रयासो का दिख रहा असर

रायपुर। प्राकृतिक संसाधनो से आच्छादित छत्तीसगढ़ और सुनहरे धान की बालियों से सौन्दर्य बोध कराता जिला धमतरी में खरीफ में बहुतायत में धान उत्पादन किया जाता है, इसलिए इसे धनहा धमतरी भी कहते है। वैसे तो छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है तथा छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा बनाने में धमतरी जिले का महत्वपूर्ण योगदान है, किन्तु कृषक अब ग्रीष्मकालीन धान का मोह त्याग कर दलहनी/तिलहनी फसल लगाने हेतु सामने आ रहे है।

कृषको के उत्साह को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा भी उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है। विगत दिनो जल संरक्षण की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए जिले में जल जगार कार्यक्रम का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया। साथ ही कृषि एवं संबंधित विभागो द्वारा 182 ग्रामो में दलहन, तिलहन फसलो को प्रोत्साहित करने हेतु जनजागरूकता शिविर लगाया गया। इसी प्रकार 48 ग्रामो में विशेष शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जहां दलहन, तिलहन फसलो के उत्पादन के फायदे बताये जा रहे है, वही उन्न्त बीज व किस्म के साथ-साथ कृषि कार्य तथा रबी ऋण पर व्यापक जानकारी दी गई। नतीजन जिले के किसान बढ़-चढ़कर दलहन, तिलहन और नगदी फसलो की बुआई करने लगे है।

गौरतलब है कि रबी वर्ष 2023-24 में दलहन, तिलहन फसल मात्र 15 हजार हेक्टेयर रकबे में आच्छादित था, वही इस वर्ष यानी रबी वर्ष 2024-25 में पिछले वर्ष का आंकड़ा पार करते हुए 19 हजार चार सौ सैतालीस हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हो चुकी है तथा अभी भी बुआई कार्य प्रगतिरत है। अन्न वाली फसल-गेंहू, मक्का, रागी 451 हेक्टेयर, दलहन फसल- चना, मटर, मसूर, उड़द, तिवडा 13 हजार 170 एवं तिलहन फसलो का क्षेत्राच्छादन 4 हजार 107 हेक्टेयर क्षेत्र में है। इस तरह कुल 19 हजार 447 हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलो का क्षेत्राच्छादन पूर्ण हो चुका है, रबी फसलो की पछेती बुआई मध्य दिसंबर से अंतिम दिसंबर तक सम्पन्न होती है तथा ग्रीष्मकालीन उडद, मूंग एवं तिल की बुआई माह फरवरी में होगी। जिला प्रशासन द्वारा इस रबी वर्ष में 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन, तिलहन फसलो के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो कि रबी वर्ष बुआई की समाप्ति तक लक्ष्य से ज्यादा रकबे में आच्छादित होने की सम्भावना है।

जिले में विगत वर्ष समिति के माध्यम से मात्र 39 क्विंटल बीज का वितरण किया गया था, किन्तु इस वर्ष संयुक्त प्रयास से समिति के माध्यम से 1211 क्विंटल 64 किलोग्राम बीज का वितरण किया जा चुका है, जो कि गत वर्ष की तुलना में 30 गुणा अधिक हैं। इसी तरह योजनाओं से गत वर्ष 1550 हेक्टेयर रकबे में फसल उत्पादन किया गया था, वही इस वर्ष दलहन, तिलहन फसलो का 7 हजार 552 हेक्टेयर रकबे हेतु बीज का वितरण किया गया है। कृषक अब जल संवर्धन की महत्ता को समझने लगे है एवं क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से सम्पर्क कर दलहन, तिलहन और नगदी फसलो के उत्पादन की तकनीकी जानकारी ले रहे है।

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