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नई शिक्षा नीति से गाँव की कक्षा में लौटा उजाला

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की दूरदर्शी सोच और राज्य सरकार की नीति “हर शाला में शिक्षक, हर बच्चे को शिक्षा” के अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था में निरंतर सुधार हो रहा है। विशेषकर ग्रामीण अंचलों में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन देखा जा रहा है।

बलरामपुर जिले की प्राथमिक शाला यादवपारा इसका जीवंत उदाहरण है। यह स्कूल 2022 से एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहा था, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। 2025 में इस विद्यालय में एक और शिक्षक की पदस्थापना की गई, जिससे अब बच्चों को विषयवार पढ़ाई, खेल आधारित गतिविधियाँ और व्यक्तिगत ध्यान मिल पा रहा है।

नवपदस्थ शिक्षिका आनंदी पल्हे के अनुसार, अब शिक्षा सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रही। कहानियाँ, चित्र, खेल और समूह गतिविधियों के जरिए बच्चों की समझ और रुचि दोनों बढ़ी हैं। पहले जहाँ एक ही शिक्षक पर सारा भार था, अब पढ़ाई में गुणवत्ता और गहराई दोनों आई है।

स्थानीय अभिभावकों के अनुसार, पहले बच्चे स्कूल जाने में रुचि नहीं लेते थे, पढ़ाई समझ नहीं आती थी। अब वे आत्मविश्वास के साथ स्कूल आ रहे हैं और शिक्षा को आनंददायक अनुभव मानने लगे हैं।

राज्य सरकार की इस पहल से प्रदेश भर में शिक्षकों की नई पदस्थापनाएँ हुई हैं। इससे बच्चों को न केवल व्यक्तिगत मार्गदर्शन मिल रहा है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और उनका समग्र विकास भी सुनिश्चित हो रहा है।

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