छत्तीसगढ़बड़ी खबरेंरायपुर

सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है।

रायपुर ।  सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है।इसके तहत् शीर्ष कोर्ट ने ‘हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स’लॉन्च की है। यह हैंडबुक न्यायाधीशों को अदालती आदेशों और कानूनी दस्तावेजों में अनुचित लिंग शब्दों के इस्तेमाल से बचने में मार्गदर्शन करेगी।

30 पन्नों के इस हैंडबुक में इस बात पर प्रकाश डाला है कि यदि जज हानिकारक रूढ़िवादिता पर भरोसा करते हैं तो इससे कानून के उद्देश्य और निष्पक्ष अनुप्रयोग में विकृति आ सकती है और इससे भेदभाव और बहिष्कार बना रह सकता है। हैंडबुक में लिखा गया है, किसी महिला के चरित्र या उसके पहने हुए कपड़ों पर आधारित धारणाएं यौन संबंधों के साथ-साथ महिलाओं के व्यक्तित्व में सहमति के महत्व को कम करती हैं।

हैंडबुक लॉन्च करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे हैंडबुक से न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं को ये समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रूढ़िवादी हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, गाइडबुक उन शब्दों और वाक्यांशों के उपयोग को पहचानने और खत्म करने के लिए है, जो अदालती आदेशों और कानूनी भाषा में लैंगिक पूर्वाग्रह पैदा करते हैं।ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे शब्द बताने जा रहे हैं, जिनसा इस हैंडबुक में जिक्र किया गया है- अफेयर, प्रॉस्टिट्यूट/हुकर, अनवेड मदर (बिनब्याही मां), चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूड, बास्टर्ड, ईव टीजिंग, प्रोवोकेटिव क्लोदिंग/ड्रेस, इन शब्दों की जगह हैंडबुक में रिप्लेसमेंट में शब्द बताए गए हैं।

उन्होंने कहा कि हैंडबुक का लक्ष्य इन रूढ़ियों को परिभाषित करना और उनके बीच जागरूकता फैलाना है। इससे न्यायाधीशों को उन शब्दों की पहचान करने में मदद मिलेगी जो महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हैंडबुक को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।बता दें कि मार्च में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि लैंगिक रूढ़िवादिता को चिह्नित करने के लिए एक पुस्तिका पर काम किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button