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स्वीडिश लोगों ने मुस्लिम शरर्णाधियों के लिए दिल के दरबाजे खोले, अब मूल निवासी स्वीडिश लोगों पर ही अल्पसंख्यक होने का खतरा

दुनिया में जितने भी मुस्लिम देश में हैं, उनमें से ज्यादातर देशों में अशांति फैली हुई है. फिर चाहे बात हम, पाकिस्तान की करें, अफगानिस्तान की, या फिर इराक जैसे देशों की. जहां देखो वहां अशांति है. यही नहीं, जिन देशों में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, वहीं भी यही हालात हैं. और तो और जिन देशों ने दिल खोलकर, मुस्लिम शर्णार्थियों को अपने देश में जगह दी थी. वे भी अब हिंसा का शिकार हो रहे हैं. उन्हीं देशों में से एक है स्वीडन.

स्वीडन यूरोप के उन देशों में से है, जहां मुस्लिम शरणार्थियों की भारी भीड़ को नागरिकता देने के कारण मुश्किलों में घिर चुका है. एक रिपोर्ट के मुताबिक स्वीडन में तो अगले कुछ साल में, वहां के मूल निवासी अल्पसंख्यक हो जाएंगे. और मुस्लिम शरणार्थी बहुसंख्यक हो जाएंगे । मौजूदा वक्त की बात करें तो वर्तमान में स्वीडन में निवास करने वाली एक तिहाई आबादी विदेशों से ताल्लुकात रखती है. समय के साथ इस देश में विदेशी लोगों की आबादी तेजी से बढ़ भी रही है. इसके प्रमुख कारणों में अप्रवासियों की बढ़ती तादाद और मूल निवासियों के प्रजनन दर में आई कमी है.

करीब 1 करोड़ की आबादी वाला ये देश इनदिनों दंगों की चपेट में है. यहां पर कुरान जलाने की घटना को लेकर भड़के दंगे के चलते हालात तनावपूर्ण हैं. विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं, और पुलिस पर पत्थरों से हमले शुरू कर दिए. यही नहीं कई जगह आगजनी की घटनाएं भी हुईं हैं. स्वीडन में फैली हिंसा पर ईरान और इराक सहित कई मुस्लिम देशों ने भी आग में घी डालने का काम किया है. कई मुस्लिम देशों की ओर से कुरान को जलाए जाने की घटना पर बेहद गंभीर टिप्पणी की है.

अगले 45 साल में अल्पसंख्यक हो जाएंगे स्वीडिस लोग
फिनलैंड की रिसर्चर क्योस्ति तरवीनैन ने अपने शोध में दावा किया है, कि अगर स्वीडन में विदेशी मूल के लोगों के बसने की दर यही बनी रही, तो अगले 45 साल में स्वीडिस लोग अपने ही देश में अल्पसंख्यक हो जाएंगे। क्योस्ति तरवीनैन हेलसिंकी के अल्टो विश्वविद्यालय में सिस्टम एनलॉटिक्स डिपॉर्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम करती हैं. उन्होंने यह भी दावा किया है कि 2100 तक स्वीडन में सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिमों की होगी।

कुल शरणार्थियों के 52 फीसदी हैं मुस्लिम

स्थानीय लोगों में घुलमिल नहीं रहे मुस्लिम.
फिनलैंड की इस रिसर्चर ने बड़ी बात यह लिखी कि उनके देश के जितने शरणार्थी थे, उन लोगों ने स्वीडन के समाज में खुद को मिला लिया। लेकिन इस समय जो शरणार्थी आ रहे हैं, वे आसानी से स्वीडन के समाज का हिस्सा नहीं बन पा रहे हैं। इसके बजाय, वे अपने स्वयं के क्षेत्रों का निर्माण करते हैं, जिन्हें आमतौर पर बाहरी क्षेत्र या नहीं जाने लायक इलाकों को बना रहे हैं।

पड़ोसी पौलैंड बोला, नहीं चाहिए एक भी मुस्लिम

स्वीडन में भड़के दंगों के बीच एक टीवी चैनल को दिया गया डोमिनिक टार्जीस्की का इंटरव्यू फिर से चर्चा में है। उन्होंने दो टूक कह दिया कि दुनियाभर के मुस्लिम राष्ट्र पोलैंड पर इस्लामोफोबिया का आरोप मढ़ते हैं, लेकिन यह देश आज इसलिए सुरक्षित है क्योंकि, वहां मुस्लिम शरणार्थियों का प्रवेश निषेध है। यहां आपको ये जानना भी जरूरी है कि टार्जीस्की पोलेंड की सत्तारूड़ पार्टी के सांसद हैं.

तो भारत सहित पूरे देश में फैली हिंसा पर आपकी क्या राय है. क्या वाकई मुस्लिम किसी धर्म के साथ मिलजुलकर नहीं रह सकते. अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर रखें.

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