बारनवापारा में तीन दिवसीय बटरफ्लाई एवं मॉथ सर्वे सम्पन्न, छत्तीसगढ़ी संस्कृति के रंगों से सजी यात्रा

बारनवापारा अभ्यारण्य में 6 से 8 नवम्बर तक तीन दिवसीय बटरफ्लाई एंड मॉथ सर्वे 2025 का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में देशभर से 42 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों को अलग-अलग टीमों में बांटकर अभयारण्य के घने वन, घास के मैदान, जलस्रोत और ग्रामीण सीमाओं में तितलियों व मॉथ की विविधता का अध्ययन कराया गया।
सर्वे के पहले दिन प्रतिभागियों का परिचय सत्र आयोजित किया गया, जिसमें उन्हें अभ्यारण्य की जैव विविधता, संरक्षण प्रयास और इतिहास के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद बार पर्यटन ग्राम का भ्रमण कराया गया, जिसमें बार म्यूज़ियम, हेरिटेज स्टे होम्स और रेस्ट हाउस का अवलोकन शामिल था। शाम को विशेष छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसने प्रतिभागियों को स्थानीय परंपराओं और लोक कला से जोड़ने का अवसर प्रदान किया।
7 नवम्बर को सुबह और शाम प्रतिभागियों को सर्वे ट्रेल्स पर ले जाकर तितलियों की प्रजातियों, उनके व्यवहार और आवास का अध्ययन कराया गया। रात्रि में मॉथ सर्वे आयोजित किया गया, जो वैज्ञानिक पद्धति से सम्पन्न हुआ। अगले दिन प्रतिभागियों ने अपने डेटा का अंतिम अवलोकन किया और समापन समारोह में सभी को प्रमाण पत्र और पौधे स्मृति स्वरूप भेंट किए गए।
वनमंडलाधिकारी बलौदाबाजार गणवीर धम्मशील ने सभी प्रतिभागियों, विशेषज्ञों, वालंटियर्स और स्टाफ का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह पहल जैव विविधता संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है और लोगों को प्रकृति से जोड़ने में मदद करती है। इस सर्वे से बारनवापारा की तितलियों की विविधता और वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
विशेषज्ञों में बटरफ्लाई एक्सपर्ट गौरव निहलानी, डॉ. अजय मिश्रा, डॉ. रवीकांत दास, लाल बहादुर, सुनील बाजपेयी और आकांक्षा चन्द्राकर शामिल रहे। अभयारण्य के अधीक्षक कृषानू चन्द्राकर, वन परिक्षेत्र अधिकारी गोपाल प्रसाद वर्मा और जीवन लाल साहू ने भी अहम भूमिका निभाई।



