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छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम: एक गौरवशाली विरासत

रायपुर। देश के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन के खिलाफ 12 आदिवासी क्रांतियाँ हुईं, जो इस क्षेत्र की साहस और संघर्ष की गाथा बयां करती हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी संस्कृति और उनके महानायकों की स्मृति को सजीव करने के लिए नया रायपुर में ट्राइबल म्यूजियम स्थापित किया है। यह म्यूजियम आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को आम जनता के सामने प्रदर्शित करेगा।

इस साल राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित रजत जयंती समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। प्रधानमंत्री इस म्यूजियम का उद्घाटन करेंगे, जिससे आदिवासी समाज के प्रति सम्मान और जागरूकता बढ़ेगी।

सरकार आदिवासी सशक्तिकरण को प्राथमिकता देती रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वतंत्रता के लगभग 40 साल बाद आदिवासी विभाग को एक पृथक मंत्रालय बनाया था, जिसने आदिवासी समाज के विकास में बड़ी भूमिका निभाई। आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आदिवासी समाज के समग्र विकास के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं, जैसे ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ और ‘पीएम जनमन योजना’। इन योजनाओं के तहत हितग्राहियों को अधिकतम लाभ दिया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी बस्तर, सरगुजा और मध्य क्षेत्र के विकास के लिए कई पहल की, जिससे आदिवासी इलाकों में विकास की रफ्तार बढ़ी। वर्तमान सरकार ने युवा आदिवासियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए नई उद्योग नीति बनाई है, जिसमें बस्तर और सरगुजा क्षेत्रों को विशेष रियायतें दी गई हैं। साथ ही आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए राज्य में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित की जा रही हैं।

वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि आदिवासी संस्कृति समृद्ध और गौरवशाली है। करमा तिहार जैसे पर्व इसी संस्कृति का प्रतीक हैं, जो प्रकृति के प्रति आदिवासियों के प्रेम को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बस्तर पांडुम जैसे आयोजन पूरे देश में चर्चा का विषय बने हैं। उन्होंने सभी छत्तीसगढ़वासियों को करमा तिहार की हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

अखिल भारतीय कंवर समाज विकास समिति की संरक्षक कौशिल्या साय ने कहा कि आदिवासी समाज और प्रकृति एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं। करमा पर्व प्रकृति प्रेम का पर्व है, और इसकी संस्कृति का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने समाज की महिलाओं से इस कार्य में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव, तकनीकी शिक्षा मंत्री गुरु खुशवंत साहेब, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री राजेश अग्रवाल सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। साथ ही कंवर समाज के कई प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

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