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टीचर की वो एक बात इतनी चुभी की बन गए आईएएस, पुलिस में भी दी है सेवा

फोर्थ आई न्यूज़ की स्पेशल सीरीज में आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे आईएएस अफसर की कहानी जो बचपन में पढाई में बिलकुल भी अच्छे नहीं थे लेकिन एक घटना उनके ज़हन में इस कदर घर कर गई जिसके बाद आज उनकी सफलता की कहानी हर जगह विख्यात हो रही है। आज हम बात करेंगे 2012 बैच के आईएएस अधिकारी रजत बंसल की। हाल ही में हमने आपको हमारे प्रदेश की स्थापना दिवस पर इनका एक वीडियो भी दिखाया था जिसमें रजत बंसल गिटार की तार पर सुर छेड़ते नज़र आ रहे थे, अगर आपने वो वीडियो नहीं देखा है तो ऊपर आई बटन पर क्लिक करके देख सकते हैं।

रजत बंसल 2012 बैच के आईएस अधिकारी हैं। मूल रूप से वो हरियाणा के निवासी हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई ला मार्टीनियर स्कूल लखनऊ में हुई। स्कूलिंग दिल्ली के डीपीएस आरके पुरम से हुई। कक्षा आठवीं तक रजत बंसल किसी भी विषय में अच्छे नहीं थे ना खेल में उनकी रुचि थी। माँ-बाप अक्सर रजत बंसल की पढाई को लेकर चिंतित रहते थे। पिताजी के कहने पर कक्षा नवमीं से उन्होनें बहुत मेहनत की और टॉप थ्री में आए वहीं दसवीं में स्कूल के टोपर रहे। इसके बाद पढाई का ऐसा दिया जला जो आज तक बुझा नहीं है। उन्होंने 2009 में बिट्स-पिलानी से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दरम्यान 2008 में वे कॉलेज की तरफ से 6 महीने के लिये फ्रांस में एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में गये जिसमें उन्हें वजीफा भी मिला। इस दौरान वीज़ा के द्वारा और भी कई देशों का दौरा किया। मगर रजत बंसल ने इस दौरान यह एहसास किया की आप दुनिया में कहीं भी घूम लें लेकिन आपको सुकून घर पर ही मिलेगा। फ्रांस से लौटकर बीई पूरी की। इसी दौरान उनके मन में प्रशासनिक सेवा का जज़्बा जाएगा। पुणे में दोस्तों से प्रभावित होकर यूपीएएसी की कोचिंग ज्वाइन की। नौकरी के साथ साथ कोचिंग में उन्हें अच्छा लगने लगा। उन्होंने 2009 से अप्रैल 2011 तक इंफोसिस पुणे में जूनियर रिसर्च एसोसिएट के तौर पर कार्यरत रहे।

बचपन से अपने पिता को फारेस्ट सर्विस जॉब में देखा तो इस पेशे के हर पहलु से मुखातिब थे। मगर बचपन से ही आईएस बनना है ऐसा कभी ख्वाब नहीं रहा। जिंदगी में जो मौका मिलेगा बस अच्छा करना है, यही उनकी सोच थी। इंफोसिस में नौकरी के दौरान ही रजत बंसल ने आईएएस बनने के लिये सिविल सर्विसेज की परीक्षा में हिस्सा लिया। चूंकि वो हफ्ते में सिर्फ दो दिन ही यूपीएसी कोचिंग करते थे लिहाज़ा कोचिंग में जब टीचर ने कहा की रजत इतना पढ़ लो प्री लिम्स तो निकल ही जाएगा। यह बात रजत बंसल को चुभ गई। उन्होनें ठान लिया की अब अच्छे से पढ़कर प्रूफ करना है। पहले एटेम्पट में ही उन्होनें इसे क्लियर कर लिया। सबसे पहले उन्हें वेस्ट बंगाल कैडर मिला। 9 महीने आईपीएस की ट्रेनिंग की फिर इंटरव्यू के बाद आल इंडिया 85 वीं रैंक मिली और छत्तीसगढ़ कैडर मिला। पहले ही प्रयास में 168वीं रैंक आने पर उनका चयन आईपीएस में हो गया था मगर दिल में एक तमन्ना थी कि आईएएस ही बनना है लिहाजा दूसरे प्रयास में बुलंद इरादे से एक्जाम मे एपियर हुए और आईएएस के लिये चुन लिये गये।

अक्सर ऐसा माना जाता है कि आईएस के इंटरव्यू में कुछ उटपटांग सवाल पूछकर कैंडिडेट का कॉन्फिडेंस चेक किया जाता है रजत बंसल भी इस किवदंती से वाकिफ थे। जब रजत बंसल इंटरव्यू में गए तो उनसे पैनल में मौजूद एक हिंदी साहित्यकार बैकग्राउंड ने उनकी हिंदी को परखा मगर रजत बंसल ने इसमें भी बाजी मार ली। उनसे ओपिनियन रिलेटेड सवाल पूछे गए। नक्सलवाद को लेकर उनसे काफी प्रश्न पूछे गए। सभी का रजत बंसल ने बेबाकी से जवाब दिया और आईएस अधिकारी बने।

रजत बंसल अपनी यूपीएएसी की तैयारी के दिनों में लगभग 17-18 घंटे पढ़ते थे, यहाँ तक वाशरूम में भी वो अपने साथ एक बुक लेकर जाते थे। पढाई का जूनून ऐसा था की रात दिन सोते जागते उनसे पुस्तकों का साथ नहीं छूटता था। रजत बंसल कहते हैं कि यूपीएएसी में ज्ञान देने वाले बहुत लोग हैं। मगर रजत बंसल यह भी कहते हैं कि ज्ञान उतना ही लीजिए जितना आपके काम आए और उनसे लीजिये जिन्होनें खुदको इस क्षेत्र में स्थापित किया है। मिसगाइडेड होने से बचें। और इन्सिक्युरिटी से खुदको दूर रखें। यह बहुत भावनात्मक पेशा है। रजत बंसल मानते हैं की जज़्बा आपसे सब करवा सकता है और इसी से कॉन्फिडेंस आता है।

2012 बैच के आईएएस अधिकारी रजत बंसल को छतीसगढ़ कैडर मिला। मृदुभाषी स्वभाव के रजत बंसल की पहली पोस्टिंग रायगढ़ में असिस्टेंट कलेक्टर के तौर पर हुई। इस दौरान उन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनाव को सही तरीके से कराया, जिससे उनकी जमकर तारीफ हुई। इसके बाद अगस्त 2014 से 2015 तक राजनंदगांव के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट बनाये गये। नक्सल प्रभावित इलाका होने के बावजूद उन्होंने दिन-रात एक कर लोगों के बीच रहकर उनकी समस्याओं को समझा और विकास पर जोर दिया। जरूरतमंदों को हर सरकारी सुविधा मुहैया करायी। इसके बाद वे सूरजपुर जिले में जिला पंचायत के सीईओ बनाये गये। उन्होंने वहां विकास कार्यों को नयी गति दी।

मोहला जैसी जगहों पर जाकर वहां लोगों की मदद करना। रायगढ़ जैसे विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा और लोकसभा चुनाव सम्पन्न करवाना। रायपुर में निगम कमिश्नर के तौर पर काम करते हुए मोर रायपुर और स्मार्ट सिटी की परिकल्पना उनकी बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

वर्तमान में रजत बंसल छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार ज़िले के कलेक्टर हैं, यहाँ भी अपने विनम्र स्वभाव और ज़मीनी स्तर पर कार्यशैली की वजह से वो बहुत कम समय में लोकप्रिय हो चुके हैं।

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