
रायपुर। छत्तीसगढ़ की माटी में जन्मे सुप्रसिद्ध कवि और तीखे व्यंग्य के शिल्पकार पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को श्रद्धांजलि देने सालासर बालाजी धाम में तेरहवीं संस्कार का आयोजन हुआ। आयोजन स्थल पर सुबह से ही लोगों का आना शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर उनके अविस्मरणीय व्यक्तित्व और लेखनी को नमन किया।
परिवार से मिलकर लोगों ने शोक संवेदना प्रकट की और कहा कि डॉ. दुबे केवल एक कवि नहीं थे—वे छत्तीसगढ़ की आत्मा की आवाज थे। उनके शब्दों में समाज की नब्ज थी, और उनकी व्यंग्य रचनाएं आज भी सच का आईना दिखाती हैं। उपस्थित लोगों ने भावुक होकर कहा कि आने वाली पीढ़ियां उनकी रचनात्मक विरासत से दिशा पाएंगी और सोचने का साहस करेंगी।
डॉ. दुबे को अंतिम विदाई देने जुटे लोगों के बीच एक ही भावना थी—एक महान साहित्यकार तो चला गया, लेकिन उसकी लेखनी अमर रहेगी।