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वाशिंगटन : अमेरिका की चेतावनी के बावजूद रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदेगा भारत

 वाशिंगटन : अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत रूस से एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने के फैसले से पीछे नहीं हटेगा। भारत अमेरिका की चेतावनी के बाद भी रूस के साथ अपने सैन्य तकनीक सहयोग के रुख पर कायम है। यह बात रूस में भारत के राजदूत पंकज सरन ने कही है। भारत स्पष्ट कर चुका है कि 40,000 करोड़ रुपये में एस-400 ट्रिंफ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीद के लिए बातचीत पूरी हो चुकी है। ये सिस्टम वायुसेना की देखरेख में काम करेगा।

एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम

रूसी सरकार के साथ बातचीत के दौरान भारतीय राजदूत ने कहा, ‘भारत एस-400 सिस्टम खरीदने से पीछे नहीं हटेगा।’ पंकज सरन को हाल ही में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर भी नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि सैन्य तकनीक सहयोग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मई में सोची में हुई मुलाकात में महत्वपूर्ण चर्चा हुई थी। दोनों देशों के इतिहास में शीर्ष स्तर पर यह पहली अनौपचारिक मुलाकात थी। राजदूत ने कहा कि दोनों नेताओं की भविष्य की मुलाकात का कार्यक्रम तय नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि अक्टूबर में नई दिल्ली में ये मुलाकात हो सकती है।

खरीदने से पीछे नहीं हटेगा

भारत अपने हित वाले सौदों पर कायम- पंकज सरन ने कहा कि भारत अपने हित वाले सौदों पर कायम है। रूस के साथ ये सौदे आपसी विश्वास और लाभ वाले हैं। एस-400 सौदे पर उन्होंने कुछ महीनों में औपचारिक रूप से दस्तखत होने की भी संभावना जताई।
अमेरिका ने रूस पर लगाए प्रतिबंध-उल्लेखनीय है कि अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते उससे सैन्य सामग्री खरीदना मुश्किल हो गया। इसलिए दोनों देश अब उन प्रतिबंध प्रावधानों से बचते हुए अपना कारोबार जारी रखने की रणनीति बना रहे हैं। भारतीय राजदूत ने कहा कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और रूस मिलकर तीसरे देश में कार्य कर सकते हैं। इस सिलसिले में दोनों देश के बीच बातचीत अभी शुरू हुई है। भारत ने बांग्लादेश से परमाणु ऊर्जा के नागरिक इस्तेमाल का समाझौता किया है।

सैन्य सामग्री खरीदना मुश्किल हो गया

अमेरिका ने काटसा कानून के तहत चेताया- रूस से पांच वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली ‘ट्रायम्फ’ खरीदने की भारतीय योजना के मद्देनजर अमेरिका भारत और अन्य देशों को ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शंस एक्ट’ (काटसा) के प्रावधानों के प्रति चेता रहा है। इस अमेरिकी कानून के तहत रूस से कोई बड़ी रक्षा खरीद करने वाले देश पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है।’काटसा’ पर भारत से चर्चा की- अमेरिका की राजनीतिक एवं सैन्य मामलों की मुख्य उपसहायक मंत्री टीना कैदानाऊ ने कहा, ‘रूस से बड़ी रक्षा प्रणालियां खरीदने की योजना बना रहे अन्य देशों की तरह ही हमने भारत सरकार के साथ भी काटसा पर चर्चा की है। हम अपने सभी साझेदार देशों के साथ उन कामों की पहचान और बचाव करना चाहते हैं जो संभावित प्रतिबंधित गतिविधि हो सकती है।

अमेरिका भारत और अन्य देशों को ‘काउंटरिंग

नहीं चाहते भारत पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगे- कैदानाऊ हाल ही में भारत यात्रा से लौटी हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं काटसा के तहत प्रतिबंध लगाए जाने से संबंधित किसी भी चीज के बारे में पूर्वानुमान नहीं लगाना चाहती और न ही पूर्वानुमान लगा सकती हूं, क्योंकि हम उसे लागू नहीं करना चाहते। हम ऐसी स्थिति चाहते हैं, जहां हम अपने सभी सहयोगी देशों के साथ मिलकर आगे बढ़ सकें। हम अमेरिका-भारत रक्षा व्यापार संबंधों को मजबूत बनाना चाहते हैं। यह सभी बातें इसी पर केंद्रित हैं। क्या है काटसा कानून- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त 2017 में ‘काटसा’ पर हस्ताक्षर किए थे। ट्रंप ने अगस्त 2017 में रूस पर प्रतिबंध लगाने के मकसद से इस कानून पर हस्ताक्षर किए थे। इसे ‘काटसा’ नाम दिया गया। इसके तहत अमेरिका रूस से बड़ा रक्षा समझौता करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है।

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