विदेश

वाशिंगटन : ईरान की हत्यारी सरकार को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देगा अमेरिका

वॉशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर पश्चिम एशिया में खूनखराबे को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए शनिवार (28 अप्रैल) को कहा कि अमेरिका, तेहरान में ‘हत्यारी सरकार’ के परमाणु हथियार हासिल करने नहीं देगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह हत्यारी सरकार परमाणु हथियार के करीब ना पहुंचे और ईरान खतरनाक मिसाइलों के प्रसार तथा आतंकवाद के लिए समर्थन को खत्म करें.’’

पश्चिम एशिया में खूनखराबे को बढ़ावा देने का आरोप

ट्रंप ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के साथ व्हाइट हाउस में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह बात कही. दोनों नेताओं ने ईरान में मौजूदा स्थिति और उसके कथित ‘अस्थिर व्यवहार’ पर चर्चा की. ट्रंप ने कहा, ‘आज हमारी बैठक में चांसलर और मैंने ईरान, ईरानी सरकार पर चर्चा की जिसने पश्चिम एशिया में हिंसा, खूनखराबा और अराजकता फैलाई.’

आज हमारी बैठक में चांसलर और मैंने ईरान

उन्होंने कहा कि इस पर बात करना ‘उचित’ नहीं है कि क्या अमेरिका ईरान के खिलाफ सैन्य बल के इस्तेमाल पर विचार कर सकता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के नेतृत्व वाला अंतरराष्ट्रीय गठबंधन सीरिया में आईएस के खात्मे के करीब है तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ‘ईरान इस सफलता से फायदा ना उठाए.’

ईरान की स्थिति सर्वोपरि, परमाणु समझौते का कोई विकल्प नहीं: रूस

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के उनके समकक्ष इमैनुएल मैक्रों द्वारा तेहरान के साथ नए समझौते का आह्वान करने के बाद रूस ने बुधवार (25 अप्रैल) को कहा था कि ईरान के वर्तमान परमाणु समझौते का कोई विकल्प नहीं है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अब तक कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि इस विषय पर ईरान की स्थिति सर्वोपरि है.

‘हमारा मानना है कि अब तक कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है

पेसकोव ने 2015 में हुए परमाणु समझौते के संदर्भ में कहा था, ‘‘हम संयुक्त विस्तृत कार्रवाई योजना को इसके वर्तमान रूप में बनाए रखने के पक्ष में हैं.’’ उन्होंने कहा कि समझौता कई देशों के प्रयासों का नतीजा है. गौरतलब है कि ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका और फ्रांस के आह्वान को खारिज किया है और ईयू ने भी वर्तमान समझौते को बनाए रखने पर जोर दिया है.

ईरान ने दी थी एनपीटी तोडऩे की धमकी

इससे पहले ईरान के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बीते 24 अप्रैल को कहा कि अमेरिका अगर 2015 के परमाणु समझौते से अलग होने का फैसला लेता है तो ऐसी स्थिति में उनका देश भी प्रतिक्रियास्वरूप परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) तोडऩे के कदम पर विचार कर सकता है. ईरान के सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शमखानी ने कहा, एनपीटी के मुताबिक, इस समझौते में शामिल देशों को अगर यह लगता है कि यह संधि उनके हित में नहीं है तो वे इससे अलग हो सकते हैं और ईरान के लिए भी यह विकल्प खुला है.

 

शमखानी ने यह टिप्पणी एक अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस स्थित सोचि के लिए रवाना होने से पहले की. उन्होंने कहा कि ईरान को संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के नाम से प्रसिद्ध जनवरी 2016 से प्रभावी परमाणु समझौते से कोई लाभ नहीं हो रहा. उन्होंने कहा, दूसरा पक्ष (अमेरिका) यह समझौता लागू होने के पहले दिन से ही इसमें बाधाएं उत्पन्न कर रहा है.

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