Janmashtami 2025 कब है? 15, 16 या 17 अगस्त – जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत पारण समय और नियम

हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह उत्सव हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन लड्डू गोपाल के बाल स्वरूप की पूजा, भजन-कीर्तन और व्रत रखते हैं। मान्यता है कि जन्माष्टमी पर सच्चे मन से सेवा करने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं। इस बार जन्माष्टमी की तिथि को लेकर भक्तों में कन्फ्यूजन है — 15, 16 या 17 अगस्त को मनाना सही रहेगा?
तिथि और मुहूर्त
भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त 2025 को रात 11:49 बजे होगी और यह 16 अगस्त को रात 09:34 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत 16 अगस्त 2025 को रखा जाएगा।
:— अष्टमी तिथि प्रारम्भ: 15 अगस्त रात 08:19 बजे
:—अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त शाम 06:04 बजे
:—रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ: 17 अगस्त रात 01:08 बजे
:—रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 17 अगस्त रात 11:47 बजे
पूजा और निशीथ काल
जन्माष्टमी पूजा निशीथ काल में करनी चाहिए। इस बार शुभ समय 16 अगस्त को रात 12:05 से 12:47 बजे तक है। इसी दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। इस वर्ष बुधादित्य और गजलक्ष्मी योग भी बन रहा है, जो पूजा के फल को कई गुना बढ़ाता है।
व्रत पारण समय
जन्माष्टमी के व्रत का पारण दो तरीकों से किया जा सकता है:
:— जन्मोत्सव के तुरंत बाद: 16 अगस्त रात 12:47 बजे के बाद
:— सूर्योदय के बाद: 17 अगस्त सुबह 05:51 बजे के बाद
व्रत के नियम
:— व्रत का पारण जरूर करें, अन्यथा व्रत अधूरा माना जाता है।
:— भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा पूरे विधि-विधान से करें।
:— चंदन, इत्र और ताजे फूलों से लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें।
:— तामसिक भोजन से बचें और दिनभर भक्ति में लीन रहें।
जन्माष्टमी का पर्व न सिर्फ धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद खास है। इस दिन का हर क्षण श्रीकृष्ण भक्ति में बिताने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है।