खिलेश्वरी देवांगन ने जब दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण

रायपुर। आजीविका मिशन ‘बिहान’ से जुड़ने का निर्णय लिया, तब शायद उन्हें भी अंदाज़ा नहीं था कि यह कदम उनके जीवन की दिशा ही बदल देगा। शुरुआत महिलाओं के समूह बनाने और वित्तीय साक्षरता फैलाने से हुई। एक सामुदायिक स्रोत व्यक्ति के रूप में उन्होंने न सिर्फ महिलाओं को बैंकिंग और बचत के बारे में सिखाया, बल्कि क्षेत्र की महिला समूहों को अब तक 2 करोड़ रुपये से अधिक का बैंक ऋण दिलाने में मदद की।
खिलेश्वरी को इस सेवा कार्य के लिए 6360 रुपये मासिक मानदेय मिलता है। इसके साथ ही उन्होंने खेती के अलावा मुर्गीपालन, मछलीपालन, किराना दुकान और फैन्सी स्टोर्स जैसे काम भी शुरू किए हैं। इन कार्यों के लिए उन्होंने अपनी पूंजी के साथ-साथ योजना के अंतर्गत मिलने वाली सीआईएफ राशि का भी सदुपयोग किया—मुर्गी शेड बनाने से लेकर ड्रिंकर फ्रीडर की व्यवस्था तक।
इन सभी गतिविधियों से उन्हें सालाना लगभग 4 लाख 60 हजार रुपये की आय हो रही है। कभी घर तक सीमित रहने वाली खिलेश्वरी आज आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मुर्गीपालन और किराना दुकान ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया है।
खिलेश्वरी का कहना है कि यह परिवर्तन केवल उनकी मेहनत का नहीं, बल्कि सरकार की योजनाओं और जिला प्रशासन के सहयोग का भी परिणाम है। आज उन्हें दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने का अवसर मिला है—जो उनके लिए गौरव का क्षण है।
वे कहती हैं, “सरकार की योजनाओं ने मुझे आत्मविश्वास और संसाधन दिए। आज मैं जो कुछ भी हूं, वह बिहन योजना और लगातार मिले सहयोग की वजह से है।” खिलेश्वरी अब अपने इलाके की महिलाओं के लिए “लखपति दीदी” बनकर प्रेरणा का स्रोत हैं।