
रायपुर। केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय राजस्व सेवा के 40 वरिष्ठ अधिकारियों को उनकी सेवाओं से टर्मिनेट कर दिया है। यह कोई साधारण ‘सस्पेंशन’ नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से सेवा से निकाले जाने की कार्रवाई है। यह फैसला उन अधिकारियों के खिलाफ लिया गया जिन पर या तो भ्रष्टाचार के आरोप थे या वे अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं कर रहे थे।
प्रसिद्ध शिक्षक और मोटिवेशनल वक्ता डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने हाल ही में अपने व्याख्यान में इस घटनाक्रम को विस्तार से समझाया और बताया कि किस तरह सरकारी नौकरियों में ‘सस्पेंड करवाने’ का पूरा रैकेट चलता था, जिसे मोदी सरकार ने अब कड़ा झटका दिया है।
सस्पेंड करवाना बन चुका था ‘जुगाड़’
डॉ. दिव्यकीर्ति ने कहा, “सरकारी सिस्टम में कुछ लोग खुद ही सस्पेंड होने के लिए पैसे देने को तैयार रहते थे – ₹1 लाख तक! क्योंकि सस्पेंड होने पर आधी सैलरी मिलती है, और ऑफिस नहीं जाना पड़ता। बाद में जब क्लीन चिट मिलती है, तो सारी रुकी हुई सैलरी एक साथ मिलती है – जैसे बोनस!”
यह चलन इतना आम हो चुका था कि कुछ लोग जानबूझकर Inquiry के बहाने छुट्टी का तरीका खोजते थे ताकि वे निजी बिजनेस या UPSC की तैयारी जैसे काम कर सकें।
अब आया ‘Termination’ का दौर
लेकिन मोदी सरकार ने इस प्रवृत्ति पर सख्त कार्रवाई करते हुए केवल सस्पेंड नहीं, टर्मिनेट किया – और वो भी IRS के वरिष्ठ अफसरों को, जिनमें एडिशनल कमिश्नर, कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर और चीफ कमिश्नर स्तर के अधिकारी शामिल हैं। डॉ. दिव्यकीर्ति के अनुसार, ये वे लोग थे जो कम से कम 15 से 20 वर्षों से सेवा में थे।
उन्होंने कहा, “पहली बार ऐसा हुआ है कि आर्टिकल 311, जो सरकारी अफसरों को मजबूत सुरक्षा देता है, उस पर भी बदलाव की सिफारिश की गई है ताकि नाकारा या भ्रष्ट अफसरों को आसानी से हटाया जा सके।”
गांवों में मोदी की छवि: “विष्णु के दसवें अवतार”
डॉ. दिव्यकीर्ति ने चुटकी लेते हुए कहा, “गांवों में आजकल ऐसी कहानियां चल रही हैं कि मोदी जी विष्णु के दसवें अवतार हैं। लोग कह रहे हैं – अब तो सस्पेंड नहीं, सीधे बाहर!”
सख्ती से आया बदलाव
यह कार्रवाई भारतीय नौकरशाही की कार्यसंस्कृति में एक बड़ा बदलाव मानी जा रही है। अब ऑफिस टाइम पर पहुंचना, बायोमेट्रिक हाज़िरी और अनुशासन, हर कर्मचारी की जिम्मेदारी बन चुकी है।
निष्कर्ष: सरकारी नौकरी अब ‘परमानेंट’ नहीं रही
डॉ. दिव्यकीर्ति ने कहा, “पहले लोग सोचते थे कि सरकारी नौकरी मतलब लाइफ टाइम सिक्योरिटी। अब सोचते हैं कि अगर काम नहीं किया, तो नौकरी भी जा सकती है। यही डर और जवाबदेही किसी भी सिस्टम को सही दिशा में ले जाती है।” डॉ दिव्यकीर्ति की इन बातों से आप कितने सहमत हैं, अपनी राय भी कमेंट करें ।