युवा नेपाल सरकार क्यों उखाड़ फेंकना चाहते हैं, ये रही वजहें

फोर्थ आई न्यूज पर नेपाल की कांपती सत्ता की कहानी आपको बताएं उससे पहले ये जानना आपके लिए जरूरी है कि अगर अगर युवा सड़क पर आ जाए तो,
सरकार की नीतियां बदल जाती हैं।
नेताओं को कुर्सी छोड़नी पड़ जाती है।
भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ जाती है।
मीडिया की हेडलाइन बदल जाती है।
देश की राजनीति नई दिशा ले सकती है।
युवाओं की यही ताकत नेपाल में देखने को मिली है, नेपाल में युवा शक्ति एक बार फिर सड़कों पर उतर आई है। रोज़गार, भ्रष्टाचार, बढ़ती महंगाई और नेताओं के बच्चों को मिले विशेषाधिकार जैसी समस्याएँ हद पार कर चुकी हैं। हाल ही में इंटरनेट पर तेजी से वायरल हुई कुछ तस्वीरों-वीडियोज़ ने यह साबित कर दिया कि जब युवा कभी चुप नहीं बैठता, बल्कि वह बदलाव की नींव बनता है। इस रिपोर्ट में हम यही जानेंगे कि किस तरह नेपाल में युवाओं का आंदोलन, सत्ता की नींव हिला रहा है और इसके पीछे कौन-कौन सी वजहें हैं।
युवाओं के सड़क पर उतरने के छह बड़े कारण उजागर हुए हैं। पहला – भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म)। सरकारी नौकरियों, शिक्षा और मीडिया में एकजुट होकर नेताओं के बच्चों ने विशेषाधिकार हासिल किए, जिससे आम युवाओं में आक्रोश बढ़ा। जेन-जी के आक्रामक ऑनलाइन कैंपेन ने ‘नेपोटिज्म’ को सोशल मीडिया पर ट्रेंड बना दिया, जिससे हजारों लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे। दूसरा बड़ा कारण है – देश में हुए भारी घोटाले। पिछले चार सालों में भूमि, स्वास्थ्य और कॉन्ट्रैक्ट घोटालों ने सिस्टम की पोल खोली। युवाओं ने सवाल उठाया कि आखिरकार इतना पैसा कहाँ जा रहा है? यही वजह रही कि 69,600 करोड़ के घोटाले जैसी खबरें आंदोलन को हवा देने लगीं।
तीसरा – सरकारी अस्थिरता। नेपाल में बार-बार सरकार बदलती है, लेकिन आम जनता, खासकर युवाओं के हालात नहीं बदलते। साल में औसतन तीन बार सरकार बदली जा रही है। चौथा – बेरोजगारी और आर्थिक संकट। साल 2019 में बेरोजगारी दर थी 10.39%, आज बढ़कर 10.71% हो गई है। महंगाई दर 4.6% थी तो अब 5.2% पहुंच गई है। आर्थिक असमानता का आलम यह है कि 20% लोगों के पास 56% संपत्ति है, बाकी जनता बेरोजगारी में जूझ रही है।
पाँचवा कारण है विदेशी दबाव। सत्तारूढ़ सरकारों के फैसले विदेशी दबाव में लिए जाने लगे हैं, खासतौर पर चीन और भारत जैसे पड़ोसी देशों का असर। इसका विरोध करने के लिए युवाओं ने सोशल मीडिया पर नई मुहिम छेड़ दी। युवाओं के कैंपेन और सड़क पर उतरी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि अगर सिस्टम जनता की बात नहीं सुनेगा तो बाहर-भीतर दोनों जगह से विरोध तेज़ होगा।
इन तमाम वजहों की वजह से जब युवाओं ने सड़क पर उतरकर विरोध किया तो पुलिस की फायरिंग और बैन जैसे कड़े कदम उठाए गए। यह वायरल फोटो इस आंदोलन की असली तस्वीरे हैं, जिसमें एक युवा पुलिस की गोली से जान गंवाते हुए दिख रहा है। युवाओं का नारा था- “करप्शन बेचो मत, कन्वर्ज़न नहीं चाहिए।” यह सीधे तौर पर सत्ता-तंत्र को चेतावनी है कि अब बदलाव जरूरी है।
किसी भी देश में युवा जब अपनी ताकत पहचान जाते हैं, तो व्यवस्था का बदलना तय है। नेपाल इसका ताजा उदाहरण बन चुका है। सोशल मीडिया से उभरा यह ऑनलाइन आंदोलन अब सड़क पर सरकार बदलना शुरू कर चुका है। अगर युवा सड़क पर आ जाए, वो सरकार, नीतियों और पूरी व्यवस्था को नया रूप दे सकता है। यही जज़्बा नई शुरुआत की गारंटी बन सकता है। इसके बारे में आप क्या कहेंगे, अपनी राय आप कमेंट बॉक्स में जरूर रखें ।