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नईदिल्ली ; रियल स्टेट सेक्टर की उम्मीदों को पूरा करेंगे जेटली?

 नई दिल्ली ; बिल्डरों के संगठन नारेडको ने रियल एस्टेट पर जीएसटी को और अधिक तर्कसंगत बनाए जाने और सस्ते आवास योजनाओं के लिए कर्ज आदि की शर्तें अधिक अनुकूल बनाए जाने की संभावना जताई है। सरकार ने 2022 तक सबके लिए आवास का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
आवास और जमीन-जायदाद विकास क्षेत्र से जुड़े संगठनों ने सरकार से इस क्षेत्र को टैक्स में सहूलियत और कर्ज सस्ता करने के सुझाव दिए हैं। रियल एस्टेट अधिनियम-2016 के प्रावधानों को लागू किए जाने और नोटबंदी के प्रभावों से अब भी निकलने के लिए संघर्ष कर रहे इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले बजट में किफायती दर के मकानों की परियोजनाओं को बुनियादी ढांचा क्षेत्र का दर्ज दिया था। इसके अलावा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मध्य आय वर्ग के मकानों पर ब्याज सहायता योजना की घोषणा की थी।
यह उद्योग बिक्री और कीमतों में नरमी का सामना कर रहा है। इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि आवास और जमीन-जायदाद विकास क्षेत्र रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। ऐसे में उम्मीद है कि चुनावों से पूर्व अपने आखिरी बजट में वित्त मंत्री इस क्षेत्र को टैक्स और पूंजी की दृष्टि से कुछ प्रोत्साहन दे सकते हैं। उद्योग को उम्मीद है कि बजट 2018-19 में एमआईजी फ्लैट्स प्रॉजेक्ट्स के डिवेलपर्स कंपनियों को भी इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपर्स की तरह इनकम टैक्स का लाभ दिया जा सकता है।
वित्त मंत्री से होम लोन्स पर ब्याज भुगतान पर मिल रही टैक्स कटौती की सीमा में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। रियल एस्टेट क्षेत्र के एक प्रमुख मंच नैशनल रियल एस्टेट डिवेलपमेंट काउंसिल ने बजट पूर्व सुझाव में वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया है कि रियल एस्टेट में पूंजीगत लाभ के लिए एक या एक से अधिक आवास में निवेश किए जाने पर टैक्स में छूट हो।
संगठन ने आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए आवासीय संपत्तियों से आने वाले किराये की आय पर एकमुश्त 10 प्रतिशत टैक्स लगाने का सुझाव भी दिया है। नारेडको के चेयरमैन राजीव तलवार ने हल में एक बयान में कहा था कि सरकार को डिवेलपर्स को फंड्स तक बेहतर पहुंच प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए और साथ ही क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए घर खरीदारों के लिए अधिक प्रोत्साहनों की भी घोषणा करनी चाहिए। रियल एस्टेट सेक्टर इस समय काफी कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है।
इस क्षेत्र में लगी कंपनियों की मांग है कि घरों पर जीएसटी की दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया जाए और जीएसटी लागू करते समय घर की कुल कीमत में जमीन की कीमत की छूट को 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया जाए। नारेडको ने सुझाव दिया है कि पूरे आवासीय क्षेत्र को पीएमएवाई के तहत 30 से 150 वर्ग मीटर तक कारपेट एरिया वाले घरों को, आईटी अधिनियम 2016 की धारा 80 आईबीए के दायरे में लाया जाना चाहिए, जो फिलहाल 60 वर्ग मीटर तक की कारपेट एरिया तक ही सीमित है।
मकान के खरीदारों और डिवेलपर कंपिनयों को उम्मीद है कि आवास ऋण पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर टैक्स कटौती की सीमा बढ़ाई जा सकती है। अभी यह सीमा 2 लाख रुपये तक है।
 

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