देशबड़ी खबरें

ब्रेकिंग न्यूज – लॉन्चिंग के 17 मिनट बाद चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा

श्रीहरिकोटा : चंद्रयान-2 सोमवार दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च हुआ। प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद ही यान सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया। इस मौके पर इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा कि रॉकेट की गति और हालात सामान्य हैं।

मोदी बोले- गौरवशाली इतिहास का खास पल
चंद्रयान-2 लॉन्चिंग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह देश के गौरवशाली इतिहास का सबसे खास पल बनेगा। यान की कामयाब लॉन्चिंग वैज्ञानिकों की अथक मेहनत और 130 भारतीयों की इच्छाशक्ति के कारण हुई। यह विज्ञान के नए आयाम खोलेगा। आज हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा होगा।

भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत: इसरो चेयरमैन
सिवन ने कहा, “ये ऐलान कर बहुत खुश हूं कि जीएसएलवी-3 ने चंद्रयान-2 को धरती से 6 हजार किमी दूर कक्षा में स्थापित कर दिया है। ये हमारी ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है। यान चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचेगा। सभी तकनीकी गड़बड़ियों का पता लगाकर सुलझा लिया गया था। अगले डेढ दिन में जरूरी टेस्ट किए जाएंगे, जिससे तय होगा कि मिशन सही दिशा में है।”

एक दिन पहले की गई थी लॉन्च रिहर्सल

इससे पहले इसरो ने शनिवार को चंद्रयान-2 की लॉन्च रिहर्सल पूरी की थी। इसरो ने गुरुवार को ट्वीट किया था कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई की रात 2.51 बजे होनी थी, जो तकनीकी खराबी के कारण टाल दी गई थी। इसरो ने एक हफ्ते के अंदर सभी तकनीकी खामियों को ठीक कर लिया है।

15 जुलाई की रात मिशन की शुरुआत से करीब 56 मिनट पहले इसरो ने ट्वीट कर लॉन्चिंग आगे बढ़ाने का ऐलान किया था। इसरो के एसोसिएट डायरेक्टर (पब्लिक रिलेशन) बीआर गुरुप्रसाद ने बताया था कि लॉन्चिंग से ठीक पहले लॉन्चिंग व्हीकल सिस्टम में खराबी आ गई थी। इस कारण चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग टाल दी गई। इसके बाद शनिवार को इसरो ने ट्वीट किया कि जीएसएलवी एमके3-एम1/चंद्रयान-2 की लॉन्च रिहर्सल पूरी हो चुकी है। इसका प्रदर्शन सामान्य है।

चंद्रयान-2 पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा
लॉन्चिंग की तारीख एक हफ्ते आगे बढ़ाने के बावजूद चंद्रयान-2 चांद पर तय तारीख 7 सितंबर को ही पहुंचेगा। इसे समय पर पहुंचाने का मकसद यही है कि लैंडर और रोवर तय शेड्यूल के हिसाब से काम कर सकें। समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा। पहले 5 चक्कर लगाने थे, पर अब 4 चक्कर लगाएगा। इसकी लैंडिंग ऐसी जगह तय है, जहां सूरज की रोशनी ज्यादा है। रोशनी 21 सितंबर के बाद कम होनी शुरू होगी। लैंडर-रोवर को 15 दिन काम करना है, इसलिए समय पर पहुंचना जरूरी है।

चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो
चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) होंगे। इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारेगा। इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो होगा। यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है। लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकंड रहेगी।

चंद्रयान-2 मिशन क्या है? यह चंद्रयान-1 से कितना अलग है?
नई तारीख तय होने पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।

ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर क्या काम करेंगे?
चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा।

चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग पहली बार अक्टूबर 2018 में टली
इसरो चंद्रयान-2 को पहले अक्टूबर 2018 में लॉन्च करने वाला था। बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 3 जनवरी और फिर 31 जनवरी कर दी गई। बाद में अन्य कारणों से इसे 15 जुलाई तक टाल दिया गया। इस दौरान बदलावों की वजह से चंद्रयान-2 का भार भी पहले से बढ़ गया। ऐसे में जीएसएलवी मार्क-3 में भी कुछ बदलाव किए गए थे।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button