भोपालमध्यप्रदेश

प्रदेश के आदिवासी अंचल में खुलेंगी 450 फुलवारी

भोपाल(Fourth Eye News) प्रदेश के आदिवासी अंचल विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति बहुल क्षेत्रों में जल्द ही 450 फुलवारी शुरू की जायेंगी। इस संबंध में मंगलवार को मंत्रालय में आदिम जाति कल्याण मंत्री  ओमकार सिंह मरकाम की अध्यक्षता में हुई बैठक में चर्चा की गई। बैठक में आदिम जाति कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती दीपाली रस्तोगी और प्रमुख सचिव महिला बाल विकास  अनुपम राजन भी उपस्थित थे।

  • 5 जिलों में विशेष पिछड़ी जनजाति क्षेत्रों में शुरू होंगी 450 फुलवारी

  • फुलवारी में 6 माह से 3 वर्ष उम्र तक के बच्चों के स्वास्थ्य का रखा जायेगा ख्याल

  • आदिम जाति कल्याण विभाग की वित्तीय मदद से संचालित होंगी फुलवारी

आदिम जाति कल्याण मंत्री  मरकाम ने फुलवारी के संचालन संबंधी व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिए कि फुलवारी में 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों को दिए जाने वाले पौष्टिक आहार की गुणवत्ता पर निगरानी रखने की सुदृढ़ व्यवस्था हो। फुलवारी संचालन करने वाली स्वयंसेवी संस्था “जन स्वास्थ्य सहयोग” की प्रतिनिधि ने बताया कि 3 साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण की संभावना अधिक होती है। इस उम्र के बच्चे विभिन्न बीमारियों के शिकार होते हैं। इन सबसे बचने के लिये फुलवारी की शुरूआत की जा रही है। प्रत्येक फुलवारी में 10 से 12 बच्चों को दर्ज किया जाता है। आदिम जाति कल्याण विभाग के सहयोग से 5 जिलों मंडला, डिंडोरी, उमरिया, शहडोल और अनुपपुर में विशेष पिछड़ी जनजाति बहुल स्थानों पर करीब 450 फुलवारी की शुरूआत की जायेगी।

बैठक में बताया गया कि 75 फुलवारी पर एक न्यूट्रिशियन कॉर्डिनेटर, 6 सुपरवाइजर और 150 फुलवारी कार्यकर्ता की सेवा ली जायेंगी। इस व्यवस्था में प्रत्येक सप्ताह बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण होगा और माह में एक बार बच्चों का वजन लिया जायेगा। अनूपपुर जिले में वर्तमान में जिला खनिज प्रतिष्ठान और नेशनल हेल्थ मिशन के सहयोग से 75 फुलवारी संचालित की जा रही हैं। फुलवारी संचालन से इन क्षेत्रों के 6 महीने से 3 वर्ष उम्र तक के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार आया है। विशेष पिछड़ी जनजाति क्षेत्रों में शुरू होने वाली फुलवारी की मॉनिटरिंग का काम महिला एवं बाल विकास के माध्यम से होगा और आदिम जाति कल्याण विभाग इनके संचालन में आर्थिक मदद प्रदान करेगा। बैठक में बच्चों को दिए जाने वाले पोषण आहार के संबंध में भी चर्चा की गई।

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