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रायपुर : गांव-गांव विकास हो गया, अब और क्या मांगें – दूब नारायण

रायपुर-खडग़ंवा : सरगुजा संभाग के कोरिया जिले की खडग़ंवा तहसील। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विकास यात्रा में सहभागी बनने दूर-दूर से आये ग्रामीणों की एक टोली में शामिल ग्राम बरदा के बुजुर्ग दूब नारायण कड़ी धूप में गमछे से पसीना पोंछते नजर आये तो पूछने पर उन्होंने बताया कि आज उनके गांव की तस्वीर और तकदीर इस तरह बदली है कि कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारे गांव में हाई स्कूल होगा, अस्पताल होगा, पक्की सडक़ बनेगी, कुंए खुदेंगे। जहां कुछ नहीं था, वहां इतना सब कुछ है कि समझ में नहीं आता कि अब सरकार से क्या मांगे ?

रमन सिंह की विकास यात्रा में सहभागी बनने दूर-दूर से आये ग्रामीणों की एक टोली

चंद कदम आगे एक पेड़ की छांव तले खड़े भैययालाल की चमकती आंखों ने अपनी तरफ खींचा तो सहज ही ये सवाल मन मेंआया कि उनकी खुशी का राज क्या हो सकता है ? हाल-चाल पूछा तो भैययालाल बोले कि भैया हम तो हम यहां आसपास के पचासों गांव के लोग इस बात से खुश हैं कि जो कभी मांगने से नहीं मिला, वो डॉ. रमन की सरकार ने बिना मांगे दे दिया है। अब गरीब से गरीब आदमी भी भूखे पेट नहीं सोता। किसान को बोनस मिलता है और हम सबको एक रूपये किलो में चावल। पहले पेट की भूख मिटाने के लिए अपना घर-बार छोडक़र बाहर जाना पड़ता था, अब कोई चिंता नहीं है।

पचासों गांव के लोग इस बात से खुश हैं कि जो कभी मांगने से नहीं मिला, वो डॉ. रमन की सरकार ने बिना मांगे दे दिया

यहीं भरपूर काम हैं। डॉ. रमन ने हमारे पेट की चिंता की है, हमारे बच्चों को पढऩे के लिए स्कूल दिए हैं, ईलाज के लिए अस्पताल, मुफ्त इलाज के लिए स्मार्ट कार्ड और गांव-गांव पक्की सडक़ें। देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत के बारे में पूछने पर भैयालाल के कुछ बोलने के पहले ही वहीं खड़ी रूकमीन बाई बोल पड़ीं कि अब तो पचास हजार तो क्या पांच लाख तक के इलाज के कोई चिंता नहीं है। पहले डरते थे कि घर परिवार में किसी की तबियत बिगड़ गई तो इलाज के लिए पैसे कहां से लायेंगे? हमने देखा है कि हमारे गांव के कितने लोग इलाज न मिलने पर कितनी तकलीफ झेलते रहे हैं। जानवर, गहने, मकान, जमीन तक गिरवी रख गये और फिर वे डूब भी जाते थे।

मगर अब डॉ. रमन सिंह ने इलाज का पक्का इंतजाम कर दिया है

नदियों से ज्यादा नहरों से मिलता है पानी-एक बुजुर्ग ने बताया कि पहले उनके गांव में लोग बारिश पर ही पूरी तरह निर्भर थे, खेत तो क्या, गले भी सूखे रह जातेथे, लेकिन अब हालात ऐसे बदले हैं कि नदियों की तरह ही नहरों से पानी मिलता है। पीने से लेकर निस्तारी के लिए भरपूर पानी और खेत भीतर। बीते वक्त की याद ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि हमारा पूरा इलाका सूखा ग्रस्त हुआ करता था, लेकिन इन दिनों नदियों की तरह नहरों से सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है।

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