
रायपुर, छत्तीसगढ सरकार की योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले में अब कम से कम एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल इस शिक्षा सत्र से आरंभ हो जाएगा, जिसके लिए 40 स्कूल नए सत्र से आरंभ हो जाएंगे।
सरकार ने इस योजना के लिए भारी भरकम फंड भी जारी किया है और अब प्रमुख सचिव आलोक शुल्का ने जिले के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर निर्देशित किया है, कि वे व्यक्तिगत रूचि लेकर इस योजना का व्यक्तिगत मॉनिटरिंग करे और स्वयं जिले के सर्वश्रेष्ठ निजी स्कूलों का भ्रमण कर इन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में निजी स्कूलों से बेहतर स्तर की अधोसंरचनाएं विकसित कर उच्च गुणवत्ता के स्कूल तैयार किए जाए।
इस स्कूल में कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक हिन्दी माध्यम के बच्चे भी प्रवेश ले सकते है, जिनका चयन लॉटरी पद्धती से किया जाएगा और कक्षा छटवीं से बारहवीं तक के बच्चों का चयन अंकों के आधार या परीक्षा परिणाम के आधार में मेरिट सूची बनाकर प्रवेश दिया जायेगा, जिसको लेकर छत्तीसगढ़ पैरेट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर सभी बच्चों का सभी कक्षाओं में लॉटरी पद्धति से चयन करने की मांग किया गया है, उनका कहना है कि बच्चों का अंकों के आधार पर चयन करना न्यायसंगत नहीं है, ऐसे में इस योजना का लाभ गरीब बच्चों को नहीं मिल पाएगा।
इसके साथ ही एक किलो मीटर की बाध्यता को भी समाप्त करने का आग्रह किया गया है, क्योंकि इस योजना का लाभ सभी बच्चों को मिलना चाहिए और पालक अपने बच्चों के लिए परिवहन की सुविधा उपलब्ध करा सकते है।
सरकार इस योजना को 15 जुलाई से वर्चुवल कक्षाओं के माध्यम से प्रारंभ करने जा रही है जिसमें कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चों को अपने अभिभावकों के साथ मिलकर शैक्षणिक गतिविधियां करना अनिवार्य है, जो कम से कम एक-दो घंटे का होगा, जिसको लेकर भी पैरेंट्स एसोसियेशन ने पूर्व में बाल आयोग को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज करायी है।
इनका कहना है कि नर्सरी से लेकर कक्षा पांचवीं तक के बच्चों को ऑनलाईन या वर्चुवल पढ़ाई से वंचित रखा जाना चाहिए, लेकिन सरकार ने तो आदेश जारी कर दिया है कि सरकारी अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक के बच्चों को 15 जुलाई से वर्चुवल कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाया जायेगा।