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नई दिल्ली : म्यूचुअल फंड में निवेश करना हुआ सस्ता

नई दिल्ली :  बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड द्वारा ‘अतिरिक्त खर्च’ के रूप में लिए जाने वाले शुल्क में कटौती की है। सेबी ने सभी म्यूचुअल फंड स्कीम में केवल 0.05 फीसद अतिरिक्त खर्च की सीमा तय की है। अभी इस मद में 0.20 फीसद शुल्क लिया जाता है। निवेशकों को म्यूचुअल फंड की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से सेबी ने यह फैसला किया है। इस कदम से म्यूचुअल फंड में निवेश करना सस्ता होगा। जानकारों का कहना है कि इससे वितरकों को मिलने वाला कमीशन घटेगा। सेबी ने 29 मई को जारी अधिसूचना में इस संदर्भ में निर्देश दिया है।

0.20 फीसद शुल्क लिया जाता है

बाजार नियामक ने 2012 में म्यूचुअल फंड कंपनियों को एसेट अंडर मैनेजमेंट पर एक्जिट लोड के बदले 0.20 फीसद शुल्क लेने की अनुमति दी थी। निवेशकों द्वारा अपनी होल्डिंग को बाजार में बेचते समय यह शुल्क वसूला जाता है। सेबी ने म्यूचुअल फंड से जुड़े डिसक्लोजर को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जारी करने के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में संशोधन भी किया है। इसमें रोजाना नेट एसेट वैल्यू और खरीद या बिक्री की कीमतें अखबार में छपवाने तथा स्कीम की वार्षिक रिपोर्ट छपवाकर निवेशकों को भेजने की जरूरत को खत्म कर दिया गया है।

रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में संशोधन भी किया है

रिपोर्ट ऐसे निवेशकों को छपवाकर भेजी जाती है, जिनकी ईमेल आइडी उपलब्ध नहीं हो। यूनिट होल्डर्स को छमाही आधार पर स्कीम पोर्टफोलियो स्टेटमेंट भेजने की व्यवस्था भी खत्म की गई है। अब इन सभी जानकारियों को एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडस्ट्री (एंफी) और म्यूचुअल फंड कंपनियों की वेबसाइट पर जारी किया जाएगा।

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