कृषि वैज्ञानिकों ने मूंग फसल का निरीक्षण कर दी किसानों को सलाह

खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए जिले में तीसरी फसल के रूप में ग्रीष्मकालीन मूंग का रकबा निरंतर बड़ रहा हैं। किसान कल्याण तथा कृषि विकास के उप संचालक ने जानकारी दी कि जिले के विकासखण्ड बुदनी एवं नसरूल्लागंज में ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई की जाती हैं।
वर्ष 2018-19 में 36190 हेक्टर, 2019-20 में 39850 हेक्टर एवं 2020-21 में 41100 हेक्टर में मूंग की बोनी की गई। जिससे कृषकों को लगभग 200 करोड़ रूपये की अतिरिक्त आमदानी हो रही हैं।
इस वर्ष फसल पकने की स्थिति एवं मौसम की प्रतिकुलता के कारण विकासखण्ड नसरूल्लागंज में कहीं-कहीं पीला मोजेक का प्रकोप देखने को मिलाए जिसके निरीक्षण के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा ग्राम लाडकुई, टीकामोड, मरियाडो, खरसानिया, चांदाग्रहण एवं सतराना में मूंग की फसल का निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण के दौरान तना मक्खी कीट एवं सफेद मक्खी का प्रकोप पाया गया हैए जिसके निदान हेतु थायोमेथाक्सान (12.6 प्रतिशत) + लेम्डासायलोथ्रिन (9.5 प्रतिशत) की 80 मिली मात्रा प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें या बीटासायफ्लूथ्रिन+ इमिडाक्लोप्रिड की 140 मिण्ली मात्रा प्रति एकड 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने की सलाह कृषकों को दी गई।
किसानों को सलाह दी गई कि फसल में कीटो का प्रकोप दिखाई देने पर उक्त कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें तथा निरंतर अपने प्रक्षेत्र का भ्रमण करते रहे हैं। वर्तमान में कुछ क्षेत्रों में मूंग की कटाई प्रारंभ हो चुकी हैं। लगभग 10.15 दिनों में मूंग की कटाई पूर्ण रूप से हो जाएगी।