रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार 17 दिसंबर को प्रदेश में अपने चार साल पूरे होने का जश्न मना रही है। इसी दिन ठीक चार साल पहले प्रदेश कांग्रेस 15 साल के वनवास को काटकर दोबारा सत्ता में काबिज़ हुई थी। सरकार जहाँ इन चार सालों को अपनी उपलब्धियों का बखान करते हुए गौरव दिवस मना रही है तो वहीं आज हम आपको प्रदेश सरकार से जुड़े कुछ ऐसे विवादों के बारे में बताने जा रहे हैं जो काफी चर्चा में रहे।
सीएम ढाई-ढाई साल फार्मूला : यह विवाद सरकार का काफी प्रचलित रहा है। साल 2018 में सरकार गठित होने के साथ ही मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इसे लेकर विवाद जारी रहा। तीन नाम जो इसमें सबसे आगे थे वो थे टीएस सिंहदेव, भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू। सीएम का सेहरा ज़रूर भूपेश बघेल के सर सजा मगर इसके बाद कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए जिसने पार्टी की अंदरूनी कलह को सतह पर ला दिया। इसके बमुश्किल दो साल बाद ही टीएस सिंहदेव दिल्ली आलाकमान से मिलने जा पहुंचे, धीरे से उनके समर्थक भी वहां आ गए। चर्चा का बाज़ार गर्म हो गया की सिंहदेव आलाकमान से नाराज़ होकर वहां पहुंचे हैं मगर फिर उनके रायपुर लौटने के बाद भी उन्हें कोई अहम् ज़िम्मेदारी मिलती नज़र नहीं आई। यह प्रदेश की राजनीती में एक बहुत बड़ा विवाद था।
आंदोलनों की बहार : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार जिन वादों के साथ आई थी उनमें से एक था प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण। नियमितीकरण तो हुआ नहीं वहीं संविदा, विद्यामितान, अनियमित संघ सहित शिक्षकों की विधवाओं ने आंदोलन छेड़ दिया और सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। आज भी आप राजधानी रायपुर के बूढ़ातालाब में इन कर्मचारियों का प्रदर्शन देख सकते हैं।
नंदकुमार बघेल की गिरफ्तारी : साल 2021 में सीएम भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें रायपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया। उनपर ब्राह्मण समाज के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगा उनके बयान को लेकर उनपर मामला दर्ज किया गया था। गिरफ्तारी के बाद रायपुर पुलिस नंदकुमार बघेल को कोर्ट लेकर पहुंची.यहां मजिस्ट्रेट जनक कुमार हिडको की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने नंदकुमार को 15 दिनों के लिए जेल भेजने का आदेश दिया। सीएम के पिता के विवाद को विपक्ष ने जमकर मुद्दा बनाया।
कालीचरण विवाद : साल 2021 के दिसंबर में धर्म सभा का आयोजन किया गया जिसमें सम्पूर्ण भारत के प्रकांड पंडित साधु-संतों ने शिरकत की। इस धर्मसभा में कालीचरण महाराज भी आए थे जिन्होनें धर्मसभा के भरे मंच से साधू-संतों की मौजूदगी में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विषय में कुछ ऐसा कह दिया कि बवाल मच गया चूंकि मामला कांग्रेस के आदर्श माने जाने वाले महात्मा गाँधी से जुड़ा था सरकार ने इसपर तुरंत एक्शन लिया और कालीचरण महराज को छग पुलिस एमपी से पकड़कर लाइ। कालीचरण महाराज फिलहाल ज़मानत पर हैं मगर केस अब भी चल रहा है।
टीएस सिंहदेव का इस्तीफा : यह घटना इसी साल हुई जब अपने ही विभाग में सुनवाई ना होते देख प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया। उस समय विधानसभा का सत्र जारी था लिहाज़ा सरकार की भी खूब किरकिरी हुई। विपक्षी दल भाजपा ने यह तक कह दिया कि जब सरकार में उसके ही मंत्री की सुनवाई नहीं होती तो फिर आमजन की कैसे होगी। इस दौरान सदन में टीएस सिंहदेव की गैरमौजूदगी भी खूब चर्चा का विषय रही थी।
सौम्य चौरसिया की गिरफ्तारी : सीएम की पसंदीदा अफसरों में शुमार सीएमओ की उपसचिव सौम्य चौरसिया को 2 दिसंबर को को ईडी ने गिरफ्तार किया था। उनपर कोल ब्लॉक से जुड़े मामले और मनी लॉन्ड्रिंग केस के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था। जिसके बाद 12 दिनों तक सौम्या चौरसिया ईडी की कस्टडी में रही है. कस्टडी खत्म होने के बाद सौम्या चौरसिया को 5 दिन के लिए जेल भेजा गया। इस समय सौम्या चौरसिया रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं। चूंकि मामला सीएम ऑफिस की एक वरिष्ठ अधिकारी से जुड़ा हुआ है इस वजह से इसपर सरकार की परेशानी और भी बढ़ सकती है।