![रामोजी राव के निधन पर श्रद्धांजली देते हुए बोले वरिष्ठ पत्रकार संजीव शुक्ल, रामोजी ग्रुप हमेशा से औरों से अलग खड़ा रहा 1 Paying tribute to Ramoji Rao on his demise, senior journalist Sanjeev Shukla said, Ramoji Group has always stood apart from others](https://4rtheyenews.com/wp-content/uploads/2024/06/Paying-tribute-to-Ramoji-Rao-on-his-demise-senior-journalist-Sanjeev-Shukla-said-Ramoji-Group-has-always-stood-apart-from-others-780x470.jpg)
रायपुर, 8 जून 2024 को रामोजी ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक और चेयरैमैन रामोजी राव का निधन हो गया था। जिसके बाद देशभर में रामोजी राव को चाहने वाले और मीडिया के लोग उन्हें नमन कर रहे हैं। उनके निधन के बाद रायपुर के वृंदावन हाॅल में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें वरिष्ठ पत्रकार संजीव शुक्ल ने रामोजी राव को श्रद्धांजलि दी। साथ ही उन्होंने रामोजी राव के साथ काम करने के अनुभव को भी साझा किया।
श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ पत्रकार संजीव शुक्ल ने बताया कि, आज के इस प्रवेश में विभिन्न मीडिया हाउस को रामोजी राव से यह सीखना चाहिए कि पत्रकार को सिर्फ पत्रकार रहने दे तभी पत्रकारिता जीवित रहेगी। उन्होंने रामोजी राव की प्रशंसा करते हुए आगे कहा कि रामोजी राव गारु ने पत्रकार को सिर्फ पत्रकार रहने दिया। इस आदर्श वाली पत्रकारिता को उन्होंने बखूबी निभाया है। वह पत्रकारों से सिर्फ खबरों की बात करते थे ना कि बिजनेस की।
वरिष्ठ पत्रकार संजीव शुक्ल ने आगे कहा कि आज के दौर में एक पत्रकार जब सुबह उठना है तो वह खबरों की नहीं सोचता। वह खबरों को छोड़कर बाकी दूसरी चीजों की सोचता रहता है। वहीं दूसरी तरफ संस्थान भी यही सोचते हैं कि कौन सा पत्रकार कितनी अच्छी लाइजनिंग संस्थान के लिए ला रहा है। आज के दौर में विभिन्न मीडिया संस्थानों के मालिक या तो नए हैं या पैसे वाले, जो मीडिया में आ रहे हैं।
उनके लिए पत्रकारिता सिर्फ निजी लाभ का विषय रह गया है। आज मीडिया संस्थानों के मालिकों की अवधारणा हो गई है कि कोई मंत्री जी उनके घर आ जाएं, कोई बड़े अधिकारी उनके बेटे के जन्मदिन पर आ जाए या फिर उनका किसी तरह से कोई काम निकल जाए। पत्रकारिता में निष्पक्षता का एक अभाव सा दिखता है। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में रामोजी ग्रुप हमेशा से औरों से अलग खड़ा रहा है। यह आवश्यक भी है कि अगर पत्रकार सिर्फ पत्रकार रहेगा तो ही पत्रकारिता के मूल आधार जीवित रहेंगे।