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छत्तीसगढ़ में तीन जिलो की सरहदी में बसा भोंगा पाल गांव, जहां कभी माओवादियों का रहता था डेरा

जहां कभी रहता था माओवादियों का डेरा, वहां विकास के लिए पहुंचे ये स्वयंसेवक
- छत्तीसगढ़ में तीन जिलो की सरहदी में साब भोंगा पाल गांव, जहां कभी माओवादियों डेरा रहता था. वहां एनएसएस के स्वयंसेवक पहुंचे, जो इलाके का डाटाबेस तैयार करेंगे. इसी डाटाबेस के सहारे जिला प्रशासन क्षेत्र के विकास के लिए योजना तैयार करेगी. आज से कुछ साल पहले जहां माओवादियों का बसेरा हुआ करता था. वहा जिला प्रशासन एवं खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने संयुक्तरूप से जिला स्तरीय एनएसएस शिविर आयोजित किया है, जिसमें जिलेभर के स्कूल व महाविद्यालयों के एक हजार से भी ज्यादा स्वयसेंवक इस सात दिवसीय शिविर में शामिल होने पहुंचे हैं.
- शिविर में आईं छात्रा पूर्विका कुलदीप ने कहा कि अपनी मेहनत से गांव को विकास की धरा से जोड़ने की कोशिश करेंगे. 11वीं की छात्रा शिविर में आई भूमिका जैन ने कहा कि शिविर में आई तो एक थीम लेकर आई है कि गांव के लोगों से अपने आप को परिचित कर उनकी दिनचर्या को जाने, शहर में सब कुछ आसान तरीके से मिला जाता है, यहां कैसे लोग रहते हैं.
- छात्रा भूमिका जैन पहली बार घर से बाहर शिविर में शामिल होने आईं. छात्रा सुमन साहू ने कहा कि इसके पहले ऐसे गांव कभी नहीं आई थी. इस गांव के लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाना है, उसके लिए सबसे आसान तरीका है. सांस्कृतिक कार्यक्रम जिससे लोग आसानी से समझ सकते हैं.
- छात्रा शिविर में आये बस्तर कमिश्नर धनंजय देवांगन भी भोंगापाल शिविर में पहुचे थे. कमिशनर ने कहा कि एनएसएस का कैम्प काफी महत्वपूर्ण होता है. हमारे शहरी क्षेत्र के बच्चे गांव से परिचित नहीं होते हैं. जबकि ग्रामीण भारत से परिचित होना हर युवाओं के लिए जरुरी है तभी देश के जिम्मेदार नागरिक बन सकते हैं.