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बस्तर की गूंज अब गोलियों की नहीं, शहनाइयों की है – बदलाव की नई इबारत

रायपुर। कभी भय, हिंसा और आतंक की छाया में जीता था बस्तर। आज वही ज़मीन, जहां कभी नक्सली बंदूकें गूंजती थीं, अब वैदिक मंत्रों और शहनाइयों की गूंज से सराबोर है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की प्रभावी नीतियों और “नियद नेल्लानार” जैसी योजनाओं ने बस्तर की फिज़ा ही बदल दी है। अब यहां आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटे युवक-युवतियां नई ज़िंदगी की शुरुआत कर रहे हैं – वह भी प्रेम और विश्वास के साथ, शादी के पवित्र बंधन में बंधकर।

सुकमा में शांति की शुरुआत: जब पूर्व नक्सली बने जीवनसाथी

13 जनवरी 2025, सुकमा के मिनी स्टेडियम में एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में दो पूर्व नक्सली जोड़ों – मौसम महेश-हेमला मुन्नी और मड़कम पांडू-रव्वा भीमे – ने वैदिक रीति-रिवाजों से विवाह किया। जून 2024 में आत्मसमर्पण करने वाले ये चारों युवा आज एक नई शुरुआत कर रहे हैं – हथियार छोड़कर प्रेम और विश्वास के साथ। मुख्यमंत्री ने आशीर्वाद देते हुए कहा, “अब बस्तर बंदूकों का नहीं, विकास और प्रेम का प्रतीक बनेगा।” इसी मौके पर सुकमा को ₹206 करोड़ की विकास योजनाओं की सौगात भी मिली।

दंतेवाड़ा: जहां कभी मौत का सन्नाटा था, अब प्रेम की गूंज है

20 दिसंबर 2024, दंतेवाड़ा के मेंढका डोबरा मंदिर परिसर में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत 220 जोड़ों ने सामूहिक विवाह रचाया। इनमें सबसे खास जोड़ा रहा – पूवर्ती की नक्सल पीड़िता और एक तैनात जवान। पूवर्ती, जो कभी खूंखार नक्सली हिड़मा का गढ़ माना जाता था, आज नए सपनों की ज़मीन बन चुकी है।

धुरली गांव से नियद नेल्लानार योजना के लाभार्थी दो और जोड़ों – सीमा-रमेश और सुंदरी-धन्नु – ने भी जीवन की नई राह चुनी। सभी नवविवाहित जोड़ों को सरकारी सहायता के तहत ₹35,000 की राशि सीधे वधु के खातों में ट्रांसफर की गई।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना: गरीब परिवारों के सपनों को मिला सहारा

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के मार्गदर्शन में यह योजना बस्तर के हजारों निर्धन परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है। सरकार अब तक 15,000 से अधिक जोड़ों का विवाह इस योजना के अंतर्गत करवा चुकी है। प्रत्येक जोड़े को ₹50,000 की सहायता दी जाती है – जिसमें ₹35,000 सीधे वधु के खाते में और बाकी विवाह आयोजन पर खर्च होता है।

बस्तर: अब गोलियों का नहीं, गुलाबों का क्षेत्र

बस्तर की यह नई तस्वीर बताती है कि विकास, संवेदना और प्रेम से वह कुछ भी बदला जा सकता है जिसे असंभव समझा जाता है। नक्सली हिंसा की छाया में पले लोग आज सरकारी योजनाओं और पुनर्वास प्रयासों की बदौलत सामाजिक समरसता की मिसाल बन रहे हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने साबित कर दिया है – जहां उम्मीद की किरण हो, वहां बंदूकें भी झुकती हैं।

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