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रक्षाबंधन पर महासमुंद की बहनों का सैनिकों को स्नेह-संदेश: धागों में बुना देशभक्ति का एहसास

रायपुर। रक्षाबंधन सिर्फ एक पर्व नहीं, भाई-बहन के प्रेम का वह बंधन है, जो सीमाओं को भी लांघ जाता है। इस साल छत्तीसगढ़ के महासमुंद की बहनों ने इस पवित्र त्योहार को कुछ अलग ही अंदाज में मनाया—ऐसे अंदाज में, जो दिल को छू जाता है और देशभक्ति की भावना से भर देता है।

महासमुंद के शहरी सेक्टर 01 की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और महतारी वंदन योजना से जुड़ी माताओं-बहनों ने अपने हाथों से खास राखियां बनाई हैं—पर ये सिर्फ राखियां नहीं, प्यार, आभार और गर्व का प्रतीक हैं। इन राखियों को उन वीर सैनिकों के लिए भेजा गया है, जो देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए रक्षाबंधन जैसे त्योहार भी अपने परिवार से दूर बिताते हैं।

इन राखियों के साथ बहनों ने स्नेहभरे पत्र भी भेजे हैं—कुछ पंक्तियाँ, जो हर सैनिक के दिल तक पहुँच जाएँ। उन्होंने लिखा है कि वे सैनिकों को सिर्फ रक्षक नहीं, परिवार का हिस्सा मानती हैं।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता राखी दुबे ने कहा, “यह केवल एक राखी नहीं, भरोसे और प्रेम का वह धागा है जो हमें अपने सैनिक भाइयों से जोड़ता है। जब यह राखी उनकी कलाई पर बंधेगी, तो उन्हें यह एहसास होगा कि पूरा देश उनके साथ है।”

इस आत्मीय पहल के अवसर पर वार्ड क्रमांक 10 के पार्षद माखन पटेल, पूर्व पार्षद शोभा शर्मा, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी टी. जटवार, पर्यवेक्षक शीला प्रधान, नगर पालिका की सीओ ममता बग्गा और कई अन्य माताएं-बहनें उपस्थित रहीं।

सभी ने एक स्वर में कहा—आज आंगनबाड़ी केंद्र सिर्फ बच्चों की देखभाल का स्थान नहीं रह गए हैं। वे अब समाज में संवेदनशीलता, देशप्रेम और संस्कारों के केंद्र बनते जा रहे हैं।

जब इस रक्षाबंधन पर देश के कोने-कोने से राखियाँ जाएंगी, तब महासमुंद की ये राखियाँ खास होंगी—क्योंकि इनमें केवल रंगीन धागे नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की माटी की महक, ममता का संदेश और सैनिकों के लिए अटूट सम्मान भी पिरोया गया है।

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