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टीबी मुक्त भारत की ओर एक बड़ी छलांग: कबीरधाम के जिंदा गांव को मिली ऐतिहासिक पहचान

रायपुर। टीबी के खिलाफ छत्तीसगढ़ की जंग को नई ताकत मिली है। कबीरधाम जिले की ग्राम पंचायत जिंदा को प्रदेश का पहला टीबी मुक्त गांव घोषित किया गया है। यह उपलब्धि न केवल जिले बल्कि पूरे राज्य के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण बन गई है।

राज्य के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने जिंदा गांव पहुंचकर टीबी मुक्त होने का प्रमाण पत्र पंचायत को सौंपा। इस अवसर पर आयोजित समारोह में स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए टीबी मुक्त भारत अभियान को राज्य में गंभीरता से लागू किया गया है।

उन्होंने कहा कि अब टीबी कोई लाइलाज बीमारी नहीं रह गई है। आधुनिक चिकित्सा, नियमित दवा, पोषण सहायता और सबसे अहम—जनभागीदारी के जरिए इसे नियंत्रित और खत्म करना संभव हो पाया है।

उन्होंने इस सफलता का श्रेय न केवल सरकारी योजनाओं को बल्कि सामाजिक सहभागिता को भी दिया। कबीरधाम जिले की 84 ग्राम पंचायतों का टीबी मुक्त घोषित होना इस साझेदारी की जीती-जागती मिसाल है।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जिंदा गांव अब पूरे प्रदेश के लिए एक मॉडल बन गया है। यहां की सजगता, जागरूकता और सामूहिक प्रयासों ने यह सफलता सुनिश्चित की है। उन्होंने यह भी बताया कि जिले की 84 पंचायतें अब टीबी मुक्त हैं, जो कि राज्य और देश दोनों के लिए अनुकरणीय है।

कार्यक्रम के दौरान नए हितग्राहियों को आयुष्मान कार्ड भी वितरित किए गए, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और सशक्त हो सकेगी।

इस मौके पर जिले के प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि और सीजीएमएससी के अध्यक्ष सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

गौरतलब है कि जिले में निक्षय मित्र योजना को प्रभावशाली तरीके से लागू किया गया है। इसके तहत जनभागीदारी को केंद्र में रखते हुए टीबी मरीजों को नियमित दवाइयां और पोषण सहायता उपलब्ध कराई गई, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

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