युक्तियुक्तकरण से बदली शिक्षा की तस्वीर: हनोदा स्कूल बना प्रेरणास्रोत

रायपुर। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने वाली मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की युक्तियुक्तकरण नीति अब धरातल पर असर दिखाने लगी है। एक समय जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं थे, आज वहीं गुणवत्तापूर्ण और नियमित शिक्षा की मिसाल बनते जा रहे हैं।
दुर्ग जिले के हनोदा गांव का प्राथमिक विद्यालय इस परिवर्तन का जीवंत उदाहरण है। कभी एकमात्र मानदेय शिक्षक पर निर्भर यह स्कूल आज तीन स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति के बाद शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। अब प्रत्येक कक्षा को विषयानुसार शिक्षक मिल रहे हैं, जिससे न केवल पढ़ाई सुचारू हुई है बल्कि छात्रों की समझ और प्रदर्शन में भी उल्लेखनीय सुधार आया है।
विद्यालय प्रभारी सरोजनी वर्मा बताती हैं, “अब बच्चों को विषयवार गहराई से पढ़ाया जा रहा है, जिसका परिणाम है कि हमारे तीन विद्यार्थी नवोदय विद्यालय में चयनित हुए हैं। यह केवल एक शुरुआत है।”
स्कूल में कमजोर छात्रों के लिए विशेष कक्षाएं चलाई जा रही हैं, जिससे उनकी नींव मजबूत हो रही है। बच्चों की पढ़ाई के प्रति गंभीरता का आलम यह है कि वे न केवल नियमित होमवर्क करते हैं बल्कि अभिभावक भी उनके शैक्षणिक विकास में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। यदि किसी दिन होमवर्क नहीं दिया जाता, तो अभिभावक स्वयं विद्यालय पहुंच कर पूछताछ करते हैं।
हनोदा की यह सफलता इस बात की मिसाल है कि युक्तियुक्तकरण केवल एक प्रशासकीय निर्णय नहीं, बल्कि शिक्षा के प्रति समर्पित सोच और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का प्रतिबिंब है।