छत्तीसगढ़ न्यूज़ | Fourth Eye News

धुंध से रौशनी तक : रायगढ़ में आंखों के उजाले की नई कहानी

रायपुर। कभी धुंधले अंधेरे में जी रहे लोगों के जीवन में अब रौशनी लौट आई है। राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभावी संचालन ने हजारों आंखों को फिर से दुनिया देखने का मौका दिया है। रायगढ़ ज़िले में इस बदलाव की बागडोर संभाली कलेक्टर के संवेदनशील मार्गदर्शन और स्वास्थ्य विभाग की संगठित टीम ने।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार, वर्ष 2025-26 के दौरान 11.56 लाख से अधिक लोगों का नेत्र सर्वेक्षण किया गया, जिसमें 3925 मोतियाबिंद के मरीज़ों की पहचान हुई। इनमें से जुलाई 2025 तक 1002 लोगों के सफल ऑपरेशन किए गए, जिससे कई परिवारों में दोबारा उजाले की किरण पहुंची।

दूरस्थ अंचलों से लेकर स्कूली बच्चों तक, हर आंख को मिली अहमियत
विशेष ज़रूरत वाले बच्चों के लिए आयोजित कैंपों में न सिर्फ यूनिक आईडी कार्ड और दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए गए, बल्कि घरघोड़ा और बाकारूमा के बच्चों को ऑपरेशन के लिए प्रेरित भी किया गया। इन प्रयासों से कई मासूम आंखों ने फिर से सपने देखना शुरू किया है।

जुलाई माह तक 136 शासकीय माध्यमिक स्कूलों के 6586 बच्चों का नेत्र परीक्षण किया गया, जिनमें से 318 बच्चों को दृष्टिदोष मिला और उन्हें मुफ्त चश्मे वितरित किए गए।

गांवों से आए बच्चों—जैसे 13 वर्षीय अनूप, 6 वर्षीय पूर्णिमा, 11 वर्षीय परदेशी और 13 वर्षीय दृष्टि—का सफल ऑपरेशन कर उन्हें नई दृष्टि दी गई। अब ये बच्चे पहले की तरह साफ देख पा रहे हैं और पढ़ाई में जुटे हैं।

“यह सिर्फ इलाज नहीं, एक नई जिंदगी है” — अभिभावकों की भावनाएं
जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित बच्चों के माता-पिता ने कहा कि यह सिर्फ एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं, बल्कि हमारे बच्चों को नया जीवन देने जैसा है। उन्होंने शासन और प्रशासन का दिल से आभार व्यक्त किया।

रायगढ़ जिला अस्पताल ने इस साल पूरे राज्य में मोतियाबिंद ऑपरेशन के क्षेत्र में दूसरा स्थान पाया और “मोतियाबिंद फ्री ज़िला” घोषित होने वाले 11 जिलों में शामिल हो गया।

ये सिर्फ आंकड़े नहीं, जीवन में लौटी रौशनी की कहानियाँ हैं
इस सफल मुहिम में डॉ. मीना पटेल, रंजना पैकरा, डॉ. मेश्राम, डॉ. पी. एल. पटेल, डॉ. उषा किरण भगत, निजी नेत्र विशेषज्ञों और समर्पित स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही।

जब सरकारी योजनाएं, मानवीय संवेदनाएं और ज़मीनी कार्य एक साथ आते हैं, तब ऐसे चमत्कार होते हैं—जहां अंधेरा पीछे छूट जाता है, और रौशनी हर कोने में फैल जाती है।

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