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विशेष पिछड़ी जनजाति बच्चों को स्कूल से जोड़ने जिला प्रशासन की पहल: शिक्षा की मुख्यधारा में लौटी मुस्कान

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशन में चलाए जा रहे शिक्षा अभियान के तहत जिला प्रशासन ने विशेष पिछड़ी जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों के शाला त्यागी बच्चों को पुनः शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की अनूठी पहल शुरू की है। इस प्रयास के तहत मैनपाट विकासखण्ड के कोरता ग्राम पंचायत के पहाड़ी कोरवा समाज के कुल 5 बच्चों को जिला प्रशासन द्वारा विद्यालय और आश्रम में प्रवेश दिलाया गया।

इस अभियान के दौरान बच्चों को पुस्तकों के साथ नई स्कूल ड्रेस और अध्ययन सामग्री भी उपलब्ध कराई गई। पहाड़ी कोरवा समाज की बसाहटों में यह देखा गया कि अधिकारीगण जब बच्चों के बीच पहुंचे तो शुरुआत में बच्चे घबराकर दूर भागते थे। लेकिन शिक्षा विभाग और प्रशासनिक टीम द्वारा लगातार समझाइश और अभिभावकों से संवाद के बाद धीरे-धीरे भरोसा कायम हुआ। बच्चों के अभिभावक अब उन्हें स्कूल भेजने के लिए तैयार हो रहे हैं।

बच्चों के हाथों में नई किताबें और पहनने के लिए यूनिफॉर्म मिलने पर उनके चेहरों पर उत्साह और मुस्कान देखी गई। बच्चों ने खुशी जताते हुए कहा कि वे अब नियमित रूप से विद्यालय जाएंगे और पढ़ाई करके अपने भविष्य को संवारेंगे।

अभियान अंतर्गत जिन बच्चों का प्रवेश कराया गया, उनमें कुमारी राखि (कक्षा चौथी), कुमारी कु. कुमारी (कक्षा चौथी), कुमारी सुमारी (कक्षा चौथी), कुमारी रवीना (कक्षा चौथी) और कुमारी सुमंती (कक्षा चौथी) शामिल हैं।

अभिभावकों को भी प्रशासन ने शिक्षा का महत्व समझाया और प्रेरित किया कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेजें। अधिकारियों ने अभिभावकों से कहा कि पढ़ाई ही उनके बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाएगी और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने में सहायक होगी।

यह पहल जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के समन्वित प्रयासों का हिस्सा है। विकासखण्ड स्तर पर समितियों का गठन कर विशेष मुहिम चलाने से अब तक कई बच्चों को शिक्षा के दायरे में लाया गया है। टीम ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सर्वे कर रही है, ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह सके।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रयास न केवल शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में ठोस कदम है, बल्कि विशेष पछड़ी जनजातियों के बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें उज्ज्वल भविष्य की राह भी दिखा रहा है। यह बच्चों में आत्मविश्वास और नई ऊर्जा पैदा कर रहा है।

इस अभियान से यह संदेश भी जा रहा है कि सरकार और प्रशासन शिक्षा को लेकर संवेदनशील है और समाज के सबसे पिछड़े वर्ग तक समान अवसर पहुंचाने के लिए ठोस रणनीति बना रहा है। आने वाले दिनों में यह पहल और बड़े स्तर पर प्रभाव दिखाएगी।

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