शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी संग्रहालय का निर्माण कार्य अंतिम चरण में, राज्योत्सव पर उद्घाटन की तैयारी

नवा रायपुर में निर्माणाधीन शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय-सह स्मारक का निरीक्षण आज आदिम जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम ने किया। उन्होंने निर्माण स्थल पर पहुंचकर कार्यों की प्रगति देखी और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
मंत्री ने कहा कि यह संग्रहालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनजातीय गौरव योजना की परिकल्पना का मूर्त रूप है, जो छत्तीसगढ़ के जनजातीय शौर्य, बलिदान और विरासत को सहेजने के लिए समर्पित है। उन्होंने इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया और निर्माण कार्यों में किसी भी तरह की लापरवाही से बचने के निर्देश दिए।
राज्योत्सव के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तावित उद्घाटन को ध्यान में रखते हुए, सभी कार्यों को समय पर पूर्ण करने के लिए कहा गया। संग्रहालय में डिजिटलीकरण, दिव्यांगजनों के लिए पृथक पार्किंग, सॉवेनियर शॉप, गार्डनिंग और वॉटर सप्लाई सहित कई सुविधाओं की स्थिति का जायजा लिया गया।
प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने जानकारी दी कि मूर्तियों, कैनवास वर्क और डिजिटल कंटेंट का परीक्षण बारीकी से किया जा रहा है। मूर्तियों की स्थापना और लाइटिंग की टेस्टिंग चल रही है। उन्होंने प्रवेश द्वार और टिकट स्कैनिंग व्यवस्था में सुधार के भी निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान राज्य अंत्यावसायी निगम के संचालक जगदीश सोनकर, आदिम जाति विकास विभाग के संयुक्त सचिव बीएस राजपूत, टीआरटीआई की संचालक हिना अनिमेष नेताम, उपायुक्त गायत्री नेताम, निर्माण एजेंसी, ठेकेदार, आर्टिस्ट, इंजीनियर्स और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
वीएफएक्स और प्रोजेक्शन तकनीक से सुसज्जित होगा संग्रहालय
क्यूरेटर प्रबल घोष के अनुसार, संग्रहालय को उन्नत वीएफएक्स तकनीक और प्रोजेक्शन वर्क से तैयार किया जा रहा है। प्रत्येक झांकी के पास लगे डिजिटल बोर्ड पर विद्रोह की जानकारी प्रदर्शित होगी। आगंतुक मोबाइल स्कैनर के माध्यम से गैलरियों की जानकारी तुरंत प्राप्त कर सकेंगे।
16 गैलरियों में संजोई गई आदिवासी विद्रोहों की गाथा
संग्रहालय में कुल 16 गैलरियां बनाई जा रही हैं, जिनमें हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम, परलकोट, तारापुर, लिंगागिरी, कोई, मेरिया, मुरिया, रानी चौरिस, भूमकाल, सोनाखान, झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह जैसे ऐतिहासिक आदिवासी आंदोलनों को जीवंत रूप में दर्शाया जाएगा।
यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर और प्रेरणास्त्रोत बनेगा।




