आत्मनिर्भर भारत की राह पर ग्रामीण महिलाएं, दीपावली पर मिट्टी के दीयों से रच रहीं समृद्धि की कहानी

रायपुर। दीपावली के शुभ अवसर पर छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की 12 ग्रामीण महिलाएं अपनी मेहनत और रचनात्मकता से आर्थिक आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही हैं। ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से, पेंड्रा जनपद की पांच महिला स्व-सहायता समूहों ने अब तक 70,000 से अधिक पारंपरिक मिट्टी के दीये तैयार किए हैं।
सिर्फ दीये ही नहीं, महिलाएं अगरबत्ती, बाती और तोरण जैसी पूजा सामग्रियाँ भी बना रही हैं, जिन्हें स्थानीय हाट बाजारों – कोटमी, नवागांव और कोड़गार – में बेचा जा रहा है। रायपुर में आयोजित सरस मेला में भी इनकी सामग्री को खासा सराहा गया है। अब तक कुल 1 लाख 11 हजार 500 रुपये की बिक्री हो चुकी है।
ग्राम झाबर की श्रीमती क्रांति पुरी बताती हैं कि इस दीपावली ने उनके जीवन में नई रौशनी भर दी है। इस पहल ने न केवल रोजगार के अवसर पैदा किए हैं, बल्कि पारंपरिक शिल्प को नया जीवन दिया है। पर्यावरण के अनुकूल इन दीयों की बिक्री से महिलाओं की आमदनी भी बढ़ी है, और वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सफल हो रही हैं।



